महाब्राह्मण महापंचायत से पहले उठा स्वामी के बयान का मुद्दा: अखिलेश बोले-स्वामी प्रसाद मौर्या की टिप्पणी गलत
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर रविवार यानी 24 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यरत पार्टी की ओर से महाब्राह्मण महापंचायत शुरू हो गई है। इससे एक दिन सपा पार्टी कार्यालय पर प्रबुद्ध वर्ग की बैठक हुई। इसमें अखिलेश यादव भी शामिल हुए। बैठक में स्वामी प्रसाद मौर्या के विवादित बयानों का मुद्दा उठा। प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने इसका विरोध जताया। इस दौरान अखिलेश यादव ने स्वीकार किया कि किसी भी धर्म-जाति वर्ग पर टीका टिप्पणी करना गलत है। पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या की ओर से दिया गया बयान सही नहीं है।
समाजवादी पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय और प्रदेश के पदाधिकारी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक कर रहे हैं। तमाम बैठकों में अखिलेश यादव स्वयं मौजूद रह रहे हैं। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये बैठक आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर की जा रही है। प्रदेश और राष्ट्रीय टीम के पदाधिकारी के साथ प्रत्येक वर्ग और जाति के नेताओं को जोड़ने का सिलसिला जारी है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के फ्रंटल विंग और विभिन्न प्रकोष्ठों के टीम भी बैठक कर रही है।
यूपी में सपा सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं। ऐसे में सपा यूपी में ‘इंडिया’ गठबंधन की कमान संभाल सकती है। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव को भी अहम जिम्मेदारियां मिल सकती है। सपा में वापसी के बाद शिवपाल लगातार पार्टी को मजबूत बनाने के काम कर रहे हैं। पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया, इसके साथ ही उन्हें यूपी का प्रभारी भी बनाया गया। शिवपाल यादव अब सपा में अखिलेश यादव के बाद दूसरे नंबर पर आते हैं। इसके साथ ही उनके बेटे आदित्य यादव को भी पार्टी में अहम ज़िम्मेदारी दी गई है।
22 जनवरी को रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभद्र टिप्पणी की थी। कहा था कि रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है?
13 फरवरी को सोनभद्र के मऊकलां में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए। कहा था, “अभी हाल में मेरे दिए गए बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने एवं सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है, अगर यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद।” 15 फरवरी को लखनऊ के एक होटल में स्वामी प्रसाद मौर्य और अयोध्या के महंत राजूदास के बीच हाथापाई हुई। राजूदास का आरोप था कि सपा नेता ने उन्हें भगवा आतंकवादी कहा था जिसका उन्होने विरोध किया था।
3 अप्रैल को रायबरेली में आयोजित कांशीराम प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में स्वामी ने 1993 वाला नारा दोहराया। शहर कोतवाली में हिंदू युवा वाहिनी के मारूति त्रिपाठी ने धार्मिक भावनाओ को भड़काने का मुकदमा दर्ज करा दिया।
18 जून को फिल्म आदिपुरुष को लेकर मौर्य ने ट्वीट किया कि जो कल तक मेरी हत्या करने, धड़ से सिर अलग करने, तलवार से सिर काटने, जीभ काटने, नाक-कान व हाथ काटने के लिए उतावले हो गए थे, उनकी बोलती आज बंद क्यों है? इसलिए न की मनोज मुंतशिर और ओम राऊत ऊंची जाति के हैं। 31 जुलाई को स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि बद्रीनाथ, केदारनाथ और जगन्नाथपुरी पहले बौद्ध मठ थे।