कश्मीर के पुंछ ज़िले में पूछताछ के लिए ले जाए गए आठ में से तीन लोगों की मौत के बाद सेना ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं.
बीते सप्ताह गुरुवार यानी 21 दिसंबर को को पुंछ ज़िले में सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला हुआ था, जिसमें चार सैनिकों की मौत हो गई थी और दो लोग घायल हुए थे.
इसी हमले के सिलसिले में पूछताछ के लिए शुक्रवार को सुरक्षाबल आठ लोगों को अपने साथ लेकर गए थे.
इन आठ लोगों में से तीन लोगों की मौत टोपा पीर इलाक़े में रात को हो गई थी, जिसके बाद इलाक़े में तनाव है.
सेना ने इस मामले में बयान जारी किया और कहा कि मामले की जांच चल रही है और भारतीय सेना जाँच में पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तनाव को देखते हुए पुंछ और राजौरी में इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी. वहीं सेना प्रमुख राजौरी और पुंछ में चल रहे सेना के अभियान की समीक्षा के लिए जम्मू पहुँच गए हैं.
जिन तीन लोगों की मौत हुई उनमें 48 साल के सफ़ीर अहमद और उन्हीं के गांव में रहने वाले उनके दो रिश्तेदार 28 साल के मोहम्मद शौकत और 25 साल के शबीर अहमद शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को तीनों मृतकों के परिवारों के लिए नौकरी रोजगार का एलान किया. हालांकि, इन तीन मौतों की वजह के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
महबूबा मुफ़्ती, फ़ारूक़ अब्दुल्लाह और उमर अब्दुल्लाह सहित कश्मीर के सभी बड़े नेताओं ने इस हमले पर बीजेपी सरकार को घेरा है.
समाचार एजेंसी एपी ने अपनी एक रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से ये कहा है कि पूछताछ के लिए ले जाए गए तीन लोगों की सेना की हिरासत में मौत के बाद इलाक़े में तनाव है.
रिपोर्ट स्थानीय लोगों के हवाले से ही ये भी दावा किया गया है कि सेना के जवानों ने पास के ही मिलिट्री कैंप में ले जाकर लोगों को टॉर्चर किया और इनकी मौत हो गई.
इसके बाद शवों को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया और फिर परिवार को इस बारे में बताया गया. स्थानीय लोगों ने ये भी दावा किया कि शवों पर प्रताड़ना के निशान थे.
वहीं, हिरासत में लिए गए अन्य पाँच लोगों के परिवार का कहना है कि बुरी तरह से टॉर्चर किए जाने के बाद उन्हें भी आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इस बीच रविवार को बारामूला की एक मस्जिद में अज़ान के समय एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी की चरमपंथियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.
तीन आम लोगों की मौत के बाद से ही इस पूरे मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं, जिसे इन तीनों की मौत से जुड़ा बताया जा रहा है. इसमें कुछ लोग ज़मीन पर बेसुध पड़े लोगों पर मिर्ची पाउडर डालते दिख रहे हैं.
हालांकि, इन वीडियो की पुष्टि नहीं की जा सकती है. अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सेना की हिरासत में इन तीन लोगों के साथ हुई कथित बर्बरता के वीडियो इंटरनेट पर आने के बाद इलाक़े में तनाव बढ़ गया.
सोमवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए सूरनकोट जाने वाली थीं. हालांकि, पीडीपी ने दावा किया है कि मुफ़्ती को इस दौरे से पहले घर में नज़रबंद कर दिया गया है.
इससे पहले रविवार को महबूबा मुफ़्ती ने एक ट्विटमें भारत सरकार पर निशाना साधा था.
उन्होंने लिखा, “घात लगाकर किए हमले में पाँच जवान मारे गए, तीन मासूम नागरिकों को सेना की हिरासत में टॉर्चर कर मार दिया गया, बहुत से लोग अब भी अस्पताल में जीवन की जंग लड़ रहे हैं और अब एक रिटायर्ड एसपी को मार दिया गया. भारत सरकार जिस सामान्य स्थिति का दिखावा करती है, उसको बनाए रखने के लिए निर्दोष लोग नुकसान उठा रहे हैं.”
मुफ़्ती ने ये भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में हर जीवन ख़तरे में है और भारत सरकार हर चीज़ को केवल इसलिए दबा देना चाहती है क्योंकि जमीनी हक़ीक़त उनके फ़र्ज़ी नैरेटिव को ख़त्म कर देगा.”
वहीं, नेशनल कॉन्फ़्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने केंद्र सरकार से चरमपंथ की मूल वजह का पता लगाने को कहा है.
एक किताब के विमोचन से इतर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा , “सामान्य स्थिति के दावे करना और पर्यटकों के आगमन को शांति बहाली के तौर पर प्रचारित करने से आतंकवाद ख़त्म नहीं होगा, वो अब भी ज़िंदा है. वे दावा कर रहे थे कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आतंकवाद ख़त्म हो गया लेकिन चार साल बीत गए, आतंकवाद अब भी है और इसकी मूल वजह को जानने की कोशिश किए बग़ैर ये ख़त्म भी नहीं होगा.”
पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने लिखा है, “अगर हिरासत में हत्या के आरोप सच हैं तो ये सुरक्षाबलों और आफ़्स्पा के तहत सुरक्षा बलों को मिलने वाली सुरक्षा का दुरुपयोग है. अब तो मानवाधिकारों के उल्लंघन के किसी मामले की निष्पक्ष जाँच और सज़ा की मांग भी अब बेतुकी है क्योंकि जो लोग दोषी पाए भी गए वो भी सज़ा पूरी किए बग़ैर आज़ाद घूम रहे हैं.”
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता ने भी एक ट्वीट में इस मामले की जल्द से जल्द जाँच कराए जाने की मांग की है.
उन्होंने लिखा, “सेना की हिरासत में प्रताड़ित करने से हुई तीन नागरिकों की मौत की जल्द से जल्द जाँच होनी चाहिए और जवाबदेही तय कर के न्याया मिलना चाहिए. मृतकों के परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं.”
सरकार ने क्या कहा?
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तीनों लोगों की मौत की वजह पर कोई टिप्पणी नहीं दी है. हालांकि, ये कहा गया है कि क़ानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और मुआवज़े का भी एलान कर दिया गया है.
जम्मू-कश्मीर के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने सोशल मीडिया पर कहा, “पुंछ के बुफ़लियाज़ में तीन लोगों की मौत की ख़बर है. इस मामले में मेडिको लीगल प्रक्रिया की गई है और अधिकारी क़ानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. सरकार ने सभी मृतकों के परिजनों के लिए मुआवज़े की घोषणा की है, मृतकों के परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी भी दी जाएगी.”
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया है कि तीनों लोगों की मौत किन परिस्थितियों में हुई ये पता लगाने के लिए सेना ने कोर्ट ऑफ़ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं.
वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी पुंछ के सुरनकोट थाने में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज किया है.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ये बी कहा हया है कि पीर पंजाल रेंज के दक्षिणी इलाकों की ज़िम्मेदारी संभालने वाली सोलहवीं कोर कमान की बजाय अब ये जांच अख़नूर स्थित कमान को सौंपी गई है. जाँच में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुलिस को भी इसमें शामिल किया जाएगा.
ये फास्ट ट्रैक जाँच 72 घंटों के भीतर पूरी हो जाएगी और इसमें घात लगाकर सैनिकों पर हुए हमले की भी जाँच होगी.
वहीं कुछ अधिकारियों के हवाले से अख़बार ने ये भी जानकारी दी है कि सोलहवीं कोर कमान के कुछ शीर्ष अधिकारियों को भी हटाने का फ़ैसला लिया गया है. हालांकि, इनमें से कुछ को हटाना पहले से तय था लेकिन कुछ अधिकारियों को तीन नागरिकों की मौत के जवाब में हटाया जाना है.
साथ ही सोलहवीं कोर कमान के कमांडर लेफ़्टिनेंट जनरल संदीप जैन भी जल्द ही देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में कमांडेंट के पद पर तैनात होंगे. उनकी जगह लेफ़्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा लेंगे.