CAA : 4 साल से कैसे अटका; 8 सवालों के जवाब

‘CAA देश का कानून है, जिसे लागू करने से हमें कोई रोक नहीं सकता और हम CAA को लागू करके रहेंगे।’

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल की एक रैली में ये बात कही। जिसके बाद CAA को लेकर सुगबुगाहट बढ़ गई। मंगलवार को एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि तैयारियां पूरी हैं और CAA को लोकसभा चुनाव से काफी पहले लागू कर दिया जाएगा।

सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट यानी CAA क्या है, इससे मुस्लिम क्यों डरे हैं, क्यों होता है विरोध प्रदर्शन और पिछले 4 साल से ये ठंडे बस्ते में क्यों है; भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 8 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…

सवाल-1: CAA को लेकर क्या नए संकेत मिल रहे हैं, 4 साल बाद अचानक चर्चा क्यों शुरू हो गई?

जवाबः सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट 2019 में पारित हुआ था। 6 महीने के अंदर नियम कानून बनाकर इसे लागू करना था, लेकिन इसके लिए 8 बार एक्सटेंशन लिया जा चुका है। पिछले कुछ दिनों से संकेत मिल रहे हैं कि इसे जल्द लागू किया जाएगा…

26 नवंबर 2023: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि CAA का फाइनल ड्राफ्ट अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है। वो पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय को संबोधित कर रहे थे।

27 दिसंबर 2023: पश्चिम बंगाल की रैली में गृह मंत्री अमित शाह ने ये कहा कि – CAA देश का कानून है, जिसे लागू करने से हमें कोई रोक नहीं सकता और हम CAA को लागू करके रहेंगे।

2 जनवरी 2024: भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने PTI को दिए एक इंटरव्यू में ये कहा कि,‘हम जल्द ही CAA के नियम जारी करने जा रहे हैं, नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।’ जब उनसे ये सवाल किया गया कि क्या CAA लोकसभा चुनाव की घोषणा के पहले लागू कर दिया जाएगा तो उन्होंने जबाव दिया कि हां, चुनाव की घोषणा के काफी पहले।

सवाल-2: CAA क्या है और इसके प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

जवाबः सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट, 2019 यानी CAA एक कानून है जिसे 11 दिसंबर 2019 को दोनों सदनों से पारित कर दिया गया। 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ ये कानून बन गया। CAA का उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता देना है। इस कानून के कुछ प्रमुख प्रावधान…

  • सिटिजनशिप एक्ट 1955 के अवैध प्रवासियों को भारत में नागरिकता लेने से रोकता था। अवैध प्रवासी यानी ऐसे लोग जो भारत में पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हों या फिर दस्तावेज में लिखी अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक जाएं। CAA के जरिए इसमें संशोधन किया गया। नए प्रावधान के मुताबिक कोई हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत माइग्रेट हुआ है। उसे अवैध माइग्रेंट्स नहीं माना जाएगा। वो CAA के अंतर्गत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
  • अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के ऐसे माइग्रेंट्स के खिलाफ अगर कोई लीगल केस चल रहा है, जिससे उसके इमिग्रेशन स्टेटस में रुकावट आ रही है। CAA के जरिए ऐसे केसेज में लीगल इम्यूनिटी दे दी गई है।
  • पहले प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले कम से कम 11 साल भारत में रहना जरूरी था। CAA के जरिए ये अवधि घटाकर महज 6 साल कर दी गई।
  • CAA में एक प्रावधान ये भी है कि अगर कोई प्रवासी भारत के किसी कानून को तोड़ता या कोई अपराध करता है तो सरकार उसका Overseas Citizens of India Card वापस ले सकती है। ये कार्ड प्रवासी भारतीयों को भारत में बिना किसी रोक-टोक के रहने और काम करने की इजाजत देता है।

सवाल-3: CAA क्यों लाया गया, सरकार को इसकी क्या जरूरत महसूस हुई?

जवाबः भारत सरकार का सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट 2019 लाने का उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है।

आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियमों को आसान बनाने के लिए सरकार यह कानून लाई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2014 तक पाकिस्तान-अफगानिस्तान से 32 हजार लोग भारत आए हैं।

सवाल-4: CAA का विरोध कौन कर रहा है और क्यों?

जवाबः 2019 मे CAA पारित हुआ जिसके बाद से इसका विरोध शुरू हो गया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से शाहीन बाग तक, लखनऊ से असम तक; हिंसक विरोध प्रदर्शन में कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी। विरोध करने वालों में दो तरह के लोग थे…

पहलाः असम समेत देश के पूर्वात्तर राज्यों के लोग। वहां के अधिकांश लोगों को ये आशंका है कि इस कानून के लागू होने के बाद उनके इलाके में प्रवासियों की तादाद बढ़ जाएगी। जिससे पूर्वोत्तर राज्यों के कल्चर और भाषाई विविधता को नुकसान पहुंचेगा।

दूसरा: भारत के अन्य क्षेत्र के लोग CAA का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नही किया गया है। इस कानून में तीनों देश से आए सभी 6 धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जबकि मुस्लिम धर्म के लोगों को इससे बाहर रखा गया। विपक्ष का आरोप है कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है। उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है।

सवाल-5: CAA में मुस्लिमों को क्यों नहीं शामिल किया गया और CAA का NRC से क्या लेना-देना है?

जवाबः बीजेपी ने कहा कि केंद्र सरकार CAA के माध्यम से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रभावित अल्पसंख्यक समुदायों को राहत देना चाहती है। मुस्लिम समुदाय इन देशों अल्पसंख्यक नहीं, बल्कि बहुसंख्यक है। यही कारण है कि उन्हें CAA में शामिल नहीं किया गया।

देश के मुस्लिमों को असली डर CAA से नहीं, बल्कि NRC से है। 2019 में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने के बाद सभी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। इसके बाद NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप लाया जाएगा। NRC के माध्यम से भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान की जाएगी। देश की नागरिकता साबित करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा या जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

मुस्लिम समुदाय के बड़े तबके का मानना है कि CAA लागू होने के बाद NRC को लाया जाएगा जो मुस्लिम समुदाय की नागरिकता को लेकर संकट पैदा करेगा। हालांकि केंद्र सरकार विज्ञापन जारी कर पुष्टि कर चुकी है कि इस कानून से पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी और किसी की भी नागरिकता नहीं छीनी जाएगी।

सवाल-6: क्या CAA को अदालतों में चुनौती दी गई थी, तब क्या हुआ था?

जवाबः CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा जनहित याचिकाएं दायर की गईं थी। 19 दिसंबर 2019 को उस वक्त के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस पर पहली बार सुनवाई करते हुए कहा था कि सरकार का पक्ष जाने बगैर कोर्ट इस पर कोई निर्णय नहीं लेगी। जिसके बाद सरकार ने इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट भी प्रस्तुत किया था, जिसमें CAA को कानून का अंग बताकर इसका बचाव किया गया था। 6 दिसंबर 2022 के बाद इस मामले कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद से ही याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।

सवाल-7: CAA को लागू करने के लिए नियम बनने थे, लेकिन 4 साल से मामला क्यों अटका है?

जवाबः CAA कानून पर 12 दिसंबर 2019 को मुहर लग गई थी। इसके बाद सरकार ने इस कानून को लागू करने वाले नियम बनाने के लिए समय मांगा था। तब से लेकर अब तक सरकार नियम बनाने की इस समय सीमा को 8 बार बढ़ा चुकी है। जिसके चलते सरकार को इस कानून का समर्थन कर रहे लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा है।

हालांकि इन नियमों को बनने में देरी क्यों हो रही है इस पर सरकार ने स्पष्ट कुछ नहीं कहा है। गृहमंत्री अमित शाह अपने एक पुराने बयान में कहा था कि महामारी के कारण नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने में देरी हो रही है। वहीं कानून के पास होने के बाद नॉर्थ ईस्ट समेत देशभर में हुआ हिंसक विरोध भी कानून के लंबित होने का कारण हो सकता है।

सवाल-8: क्या अब CAA के नियम बन गए हैं, ये क्या हैं?

जवाबः गृहमंत्री अमित शाह और सरकार के अन्य मंत्री की मौकों पर यह कह चुके हैं कि CAA को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की माने तो इस कानून को लागू करने वाले नियम तैयार किए जा चुके हैं। जल्द ही नागरिकता से जुड़ी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया जाएगा। जिसे यूजर मोबाइल एप के माध्यम से भी प्रयोग कर सकता है। हालांकि ये नियम क्या होगें इस बारे में अभी कोई खुलासा नहीं किया गया है।

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