मायावती ने याद दिलाया मुलायम का मोदी को आशीर्वाद सपा-बसपा में होता रहा है वार-पलटवार…

अखिलेश यादव शनिवार को बलिया में थे। मीडिया के सवाल- INDI गठबंधन में मायावती जुड़ती हैं तो क्या ये गठबंधन के लिए फायदा होगा? इस पर अखिलेश ने कहा- चुनाव बाद की गारंटी कौन लेगा? यानी बाद में मायावती किस पार्टी के साथ चली जाएं, इसकी गारंटी कौन लेगा। यही बात मायावती को चुभ गई। क्योंकि कहीं न कहीं इसके जरिए पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए गए।

रविवार को मायावती ने सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव पर निशाना साधा। मायावती ने लिखा, “अखिलेश को बसपा पर अनर्गल तंज कंसने से पहले अपनी गिरेबान में झांककर देखना चाहिए। अखिलेश अपनी और अपनी सरकार की दलित विरोधी आदतों से मजबूर हैं। उन्हें देखना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने और भाजपा से मेलजोल करने में कितना दागदार है।” मायावती ने अखिलेश और भाजपा सरकार दोनों को दलित विरोधी करार दिया है।

अखिलेश बोले-100 दिन बचे हैं… BJP जाएगी
लखनऊ के सपा कार्यालय में रविवार को अधिवक्ता महासम्मेलन था। जिसमें अखिलेश यादव शामिल हुए। मीडिया से अखिलेश ने बातचीत की। सवाल- मायावती ने गिरेबान में झांकने और बीजेपी से आशीर्वाद लेने की बात कही है, इस पर आप क्या कहेंगे? इस पर अखिलेश यादव ने कहा- नो कमेंट, 100 दिन बचे हैं… BJP जाएगी।

मायावती ने याद दिलाया मुलायम का मोदी को आशीर्वाद
मायावती ने रविवार को सोशल मीडिया पर लिखा, “तत्कालीन सपा प्रमुख ने भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले और बाद में आशीर्वाद दिया, इसे कौन भूल सकता है। यहां मायावती का इशारा दिवंगत मुलायम सिंह यादव पर था। क्योंकि संसद में PM मोदी को दूसरे कार्यकाल पर मुलायम ने आशीर्वाद दिया था।”

मायावती ने लिखा, “भाजपा सरकार बनने पर सपा का भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिलना-जुलना जनता भूल नहीं सकती। ऐसे में सपा सांप्रदायिक ताकतों से लडे़ तो उचित होगा।”

पहले भी सपा-बसपा में होता रहा है वार-पलटवार…
हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब बसपा को लेकर सपा की ओर से इस तरह का कोई कमेंट आया हो। इससे पहले भी INDI गठबंधन की चौथी बैठक में सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने ये बात रखी थी कि अगर बसपा साथ आएगी तो सपा का रहना मुश्किल हो सकता है।

इसके बाद भी मायावती ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा को घेरा था। एक बार फिर जिस तरह से सपा मुखिया ने बसपा को लेकर सवाल खड़े किए हैं, वह पार्टी को पसंद नहीं आया है। मायावती ने अखिलेश यादव पर तंज तो किया ही है, साथ ही साथ 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से सदन में मुलायम सिंह यादव ने PM मोदी को दोबारा सत्ता में आने की शुभकामनाएं दी थी, उसका भी जिक्र किया है।

2019 के गठबंधन के बाद सपा बसपा में दूरी
मायावती यह बताने में जुटी है कि समाजवादी पार्टी भाजपा की मदद करती रही है। जबकि बसपा से दूरी बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह सपा के लिए यह है कि 2019 में जब सपा ने बसपा के साथ गठबंधन किया, तब उसका फायदा बसपा को लोकसभा चुनाव में मिला। उसकी सीट जीरो से बढ़कर 10 हो गईं।

लेकिन, सपा को इसका फायदा नहीं मिला। सपा केवल पांच सीट ही जीत पाई थी। हालांकि इसके बाद मायावती ने यह कहकर गठबंधन तोड़ लिया था कि सपा अपना वोट शिफ्ट नहीं कर पाई। जबकि सपा के लोग हर बार यही कहते हैं कि सपा का तो वोट शिफ्ट हुआ, जबकि बसपा अपना वोट शिफ्ट नहीं करा पाई थी। बस इसी 2019 के गठबंधन के बाद सपा बसपा से दूरी बना कर ही रखना चाहती है।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.