फतेहपुर। गेहूं की अगेती व मध्यम प्रजातियों में खरपतवार नियंत्रण समय से होना अत्यावश्यक है। पहले प्रबंधन होने से फसल के नुकसान की संभावना तो देर होने पर उसके कल्ले व बढ़वार प्रभावित होती है।ऐसे में खरपतवार नियंत्रण के लिए समय से तैयार होना किसानों के सामने चुनौती होगी।चैड़ी पत्ती के साथ गेहूं का मामा,बनरी सहित पतली पत्ती के खरपतवारों को नष्ट करने में रसायन के साथ समय का बहुत बड़ा महत्व है।सीएसए के सेवानिवृत कृषि वैज्ञानिक डाक्टर शिवमंगल सिंह ने प्रखर धूप निकलने के बाद ही दवा के छिड़काव की सलाह दिया है।इसके साथ ही खरपतवार नाशी रसायनों को उर्वरक में मिलाकर छिड़कने की बजाए पानी के साथ स्प्रे करने की प्रतिबद्धता पर बल दिया।दवा छिड़काव में समय का ध्यान रखना सबसे आवश्यक है। पहली सिंचाई होने के बाद पैर सहने की नमी के दौरान तेज धूप होने पर ही दवा का छिड़काव करना चाहिए।इस बात का ध्यान रखा जाए कि छिड़काव के उपरांत तीन से चार घंटा धूप पौधों को मिले।दवा छिड़कने से पहले यूरिया का छिड़काव कदापि नहीं करना चाहिए।देवमई विकास खंड के पधारा के युवा किसान विनय कश्यप ने बताया धूप खिलने से अब खेतो मे रौनक आ गई है और दवा छिड़काव का भी अच्छा समय मिल गया है।