शिव धनुष टूटते ही भक्तों ने लगाये जय श्रीराम के जयकारे – गंगा मइया के गीत से गूंजा श्रीराम कथा पंडाल – संवेदना सेवा न्यास द्वारा आयोजित हो रही श्रीराम कथा

फतेहपुर। श्रीराम कथा महोत्सव में कथा को आगे बढाते हुये आचार्य शांतनु जी महाराज ने श्रीराम और जानकी के मिलन के अद्भुत प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया। सीता स्वयंवर की कथा सुन भक्तों ने जय श्रीराम के जयकारे लगाये। कथा के दौरान मानो तो मैं गंगा मां हूं न मानो तो बहता पानी… गीत की मधुर धुन से भक्त मंत्रमुग्ध हो गये। सम्राट अशोक तिराहा मंडप गेस्ट हाउस के सामने वी आई पी रोड में संवेदना सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के चैथे दिन कथा सुनाते हुये शांतनु जी महाराज ने कहा कि धनुष यज्ञ के लिए रखे गए भगवान शिव के धनुष के भार और बल को देखते हुए जानकी द्वारा माता पार्वती से प्रार्थना करना, बिरह और मिलन की उत्कंठा, प्रेम और आदर्श का स्वरूप है। देश देशांतर के कोने-कोने से आए हुए बलशाली राजाओं द्वारा धनुष को नहीं उठा पाने पर राजा जनक दुखी हो गए। इसी बीच भगवान राम ने धनुष को तोड़कर जनक के दुख का निवारण किया। धनुष टूटते ही भगवान श्रीराम व जगत जननी जानकी का विवाह निश्चित हो गया था, क्योंकि विवाह की यही शर्त थी। वही राजा जनक ने विधि-विधान से लोक रीति, तथा वेद रीति को ध्यान में रखते हुए अपने एक प्रबुद्ध दूत को अयोध्या भेजकर महाराज दशरथ को आमंत्रण पत्र दिया। कथा के बाद आरती हुई और फिर भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। राम कथा में प्रमुख यजमान सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक राकेश श्रीवास्तव के साथ पूर्व अध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन हितेंद्र बहादुर सिंह, भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ संयोजक सुधांसू श्रीवास्तव एवं रेखा श्रीवास्तव, शिव प्रताप सिंह चैहान, डीआरडीए जेई मुकेश श्रीवास्तव यजमान के रूप में मौजूद रहे। इस दौरान नगर पंचायत किशनपुर चेयरमैन सुरेंद्र सोनकर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पंकज यादव, व्यापारी हरिओम रस्तोगी, भाजपा नेत्री कविता रस्तोगी, शैलेंद्र रघुवंशी, आयोजन समिति के संयोजक स्वरूप राज सिंह जूली, संवेदना सेवा न्यास के संस्थापक अध्यक्ष पंकज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कारवांह ज्ञानेंद्र सिंह, विभाग संपर्क प्रमुख प्रदीप सिंह ,संवेदना सेवा न्यास के आजीवन संरक्षक अनुराग त्रिपाठी, समिति के सह संयोजक विशेष बाजपेई, नमामि गंगे संयोजक शैलेंद्र शरन सिंपल आदि भक्त मौजूद रहे।

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