राम विवाह की कथा सुन भव विभोर हुए श्रोता

विजयीपुर, फतेहपुर। किशनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सरौली रामलीला मैदान में चल रही रामलीला कथा में आज पांचवा दिन आज आचार्य तुलसी किंकर महराज जी के द्वारा राम विवाह संपन्न कराया गया। राम कथा की मार्मिक कथा का वर्णन कथा व्यास आचार्य तुलसी किंकर महराज जी ने सुनाई। कथा व्यास ने कहा बलराम राम दास ने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। राजा जनक को आश्चर्य हुआ। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा गया। स्वयंवर में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र रामचंद्र एवं लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ पहुंचे। जब धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की बारी आई तो वहां मौजूद किसी भी राजा से प्रत्यंचा तो दूर धनुष को हिला तक नहीं सके। तुलसीदास जी कहते हैं कि राम ने धनुष कब उठाया, कब प्रत्यंचा चढ़ाई और कब खींचा, किसी को पता ही नहीं लगा। राम ने धनुष को बीच से तोड़ दिया।

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