गोरखपुर से सांसद और अभिनेता, रवि किशन मार्च महीने के पहले ही दिन फिल्म ‘लापता लेडीज’ और वेब सीरीज ‘मामला लीगल है’ के जरिये अपने प्रशंसकों के बीच पूरे जोश के साथ लौट आए हैं। रवि किशन ने सिनेमा को अपना जीवन दिया है, लेकिन क्या हिंदी सिनेमा ने उनकी मेहनत का उन्हें वाजिब इनाम दिया भी? गोरखपुर का सांसद बनने के बाद से क्या कोशिशें कर रहे हैं रवि, पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं के कौशल विकास के लिए और क्या है उनकी आने वाली फिल्म ‘महादेव का गोरखपुर’। बता रहे हैं रवि किशन ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल को इस खास मुलाकात में।
मैं राम जेठमलानी का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। उनकी दलीलों और उनके लिए मामलों पर नजर रखता था। फिर दिल्ली आने पर उनसे और अरुण जेटली जैसे दिग्गज वकीलों से मिलना भी होने लगा। मुझे समझ आया कि ये सब न सिर्फ सिनेमा के बहुत बड़े शौकीन हैं बल्कि इनका मस्ती करने का अंदाज भी निराला है। तो ‘खाकी द बिहार चैप्टर’ में माफिया बनकर बंदूक चलाने वाले मेरे जैसे व्यक्तित्व वाले अभिनेता को जब ये ‘मामला लीगल है’ के एडवोकेट त्यागी जैसा किरदार मिला तो मुझे भी बहुत अच्छा लगा। अच्छा इसमें ये भी है कि ये अदालत परिसर में होने वाली मानवीय द्वंद्वों को दिखाता है।
मैंने अब तक किसी को बताया नहीं लेकिन अब बता रहा हूं। ‘मामला लीगल है’ को लेकर मैं सबसे ज्यादा डरा हुआ था। ये लोग वर्कशॉप कर रहे थे और मेरे पास समय की कमी थी। पहले दिन जब मैं सेट पर आया तो देखा कि इसके निर्देशक राहुल पांडे मुझसे भयभीत हैं। किसी ने इनको बताया था कि मैं सेट पर आते ही तांडव करता हूं। अनुराग कश्यप की फिल्म ‘मुक्काबाज’ के सेट से किसी ने इन्हें बताया कि मैं शूटिंग करने से पहले दूध से नहाता भी हूं। हिंदी फिल्म जगत में मुझे लेकर ये जो अफवाहें मेरे दुश्मनों ने फैलाईं, उनसे फिल्म के कलाकार भी काफी सहमे से नजर आए। फिर, जब मैंने इन लोगों के घर परिवार और सुख दुख की बातें की तो सब सामान्य हो गया।
आपने भी देखा होगा कि मैं जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के साथ होता हूं तो वह खूब प्रफुल्लित रहते हैं। आम जनता भी मुझे देखकर ऐसी ही प्रतिक्रिया देती है। लोगों ने जब मुझसे पूछना शुरू किया कि इसका कारण क्या है तो मैंने इसका विश्लेषण शुरू किया। समझ ये आया कि मैं स्वयंमोह यानी कि खुद पर ही मोहित रहने के जाल से आजाद हो चुका हूं। मैं खुद में डूबा इंसान नहीं हूं। मैं दूसरो की छोटी छोटी अच्छी चीजों में आनंद पाता हूं। और, ये उनकी ये बातें उनको ही बताता रहता हूं। हमारी हर बात में हास्य है, बस उसे सार्थक तरीके से समझने वाला होना चाहिए। हम अपने आप में इतना डूबते जा रहे हैं कि हंसना ही भूल चुके हैं। अब लोग टिकट खरीदकर हंसने जाते हैं।
मैं बहुत सारे रवि किशन देखना चाहता हूं। मैंने सिनेमा का काफी काम गोरखपुर में कर भी दिया है। लेकिन मेरा लक्ष्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं को सिनेमाई कौशल में प्रशिक्षित करना, उनकी कार्यकुशलता विकसित करना और उनके लिए वहीं उनके घर के पास एक ऐसा रोजगार क्षेत्र गढ़ना है जिनसे लोगों का, समाज का भला हो सके…
जी जी, जब से मैं सांसद बना हूं, मैं अपना खुद का रोजगार वहां ले गया। सरकारी योजनाएं लाने से तो क्षेत्र का विकास होता ही है लेकिन मैं चाहता हूं कि लोगों को वहां ऐसा रोजगार मिले जिससे उनका घरबार चले। अब सब तो आईएएस या आईपीएस नहीं बन सकते न तो युवाओं के कौशल विकास के जरिए मैं प्रकृति से मिली कृपा के वरदान लौटाना चाहता हूं।
मेरे भीतर बतौर कलाकार अब भी इतना कुछ है कि वह बाहर आया नहीं। हिंदी सिनेमा में अपने हिस्से की लोकप्रियता का मैं इंतजार ही करता रहा। अब जाकर किरण राव ने ‘लापता लेडीज’ और नेटफ्लिक्स ने ‘मामला लीगल है’ में मुझे इस तरह पेश करना शुरू किया है। इस दौरान मैंने भोजपुरी इंडस्ट्री में खूब काम किया। इसे स्थापित किया और ये सब गुस्से में कहो या कहो कि चिढ़ में हुआ। मैं खुद भोजपुरी में आकर अपनी कोशिशों से सुपरस्टार बना।
भोजपुरी सिनेमा पर अश्लील होने की तोहमत बहुत लगी हैं। मैं इसे गलत भी नहीं मानता। हाल के बरसों में आए कुछ लोगों ने लालच और पैसा कमाने के चक्कर में इसे खराब किया। ये बात मेरे दिल को लग गई। मैंने इसी को सुधारने के लिए ये फिल्म बनाई है, ‘महादेव का गोरखपुर’। एक साथ पांच भाषाओं मे रिलीज होने जा रही ये पहली अखिल भारतीय भोजपुरी फिल्म है। लक्ष्य भोजपुरी को वही सम्मान दिलाने का है, जो दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को देश में हासिल है। साउथ सिनेमा के मेरे प्रशंसक भी मुझे वहां एक लीड रोल में देखने की मांग करते रहे हैं। ये फिल्म 1700 साल पहले शुरू होती है। ये एक ऐसे रॉ अधिकारी की कहानी है जो सदियों पहले एक नागा साधु था।