फतेहपुर। न्यूज वाणी माननीय उच्चतम न्यायालय ने तालाबों की महत्व और सुन्दरता को देखते हुए इनको पूरने पाटने और इनकी सुन्दरता को नष्ट करने पर भले ही रोक लगा रखी है लेकिन जनपद में प्रशासनिक मामले पे नगरपालिका परिषद के भ्रष्ट अधिकारियो व कर्मचारियों की उदासीनता व मिलीभगत से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी हुई है और जनपद के दबंग भूमाफिया कानूनी दांवपेंच से इन तालाबों के आश्तिस्व को नेस्तनाबूत कर चुकी है। और जो इनकी दिव्यदृष्टि से अब तक बचे हुए है इन तालाबों में जलकुम्भी व हाॅथी घास उगा कर उन्हे भी मिटा देने का कार्य भू माफियाओं द्वारा अनवरत जारी है। योगी सरकार द्वारा जब से एन्टी भू माफिया टास्क फोर्स का ऐलान किया गया है तब से भू माफिया शहर के बचे हुए तालाबों को पूरा पाट कर जल्द से जल्द प्लाटिंग करने बिंल्डिंगों की फसलें खड़ी कर देना चाहते है। भू माफियाओं को इस अवैध कार्य में से सबसे ज्यादा सहयोग इलाकाई पुलिस व लेखपाल से भी मिल रहा है। इनकी कृपा दृष्टि से इनके किन्ही कार्यो में बाधायें नहीं आ पाती इस अवैध सेवा के लिए इन्हे मोटी मोटी रकमें देते है। तलाबों के वजूदों को मिटाने में सबसे बड़ा हाॅथ इन्ही भ्रष्टों का है। लगातार तालाबो के मिटते वजूदों से आज शहर में जल भराव और जल निकाशी की समस्या एक खतरनाक मोड़ ले चुकी है।नगर पालिका के पुराने दस्तावेजों में यूॅ तो 280 तालाब मय रकबे के दर्ज है लेकिन इनमें शहर के छियालिस तालाबों की स्थित सबसे ज्यादा खराब है। मौजूदा समय में कितने तालाब बचें है और कितने तालाबांे पर कब्जा हुआ है। यह भी पालिका प्रशासन को मालुम नहीं है। शहर के प्रसिद्ध दरगाह निजामुद्दीन शाह के अगल बगल यहाॅ के बुजुर्ग बताते हैं कि इतना बड़ा तालाब था कि शहर के धोबी आठ आठ घाट बना कर आधे शहर के कपडे़ धोते थे जिसमें जलकुम्भी और हाॅथी घास उगा कर उसे नेस्तेनाबूत कर दिया गया और अब प्लाट काटने का जुगाड़ किया जा रहा है। इस क्षेत्र में छोटे बड़े कई तालाब थे जिन्हे पूरा पाट कर स्थानीय दबंग भू माफियाओं ने बेंच बेंच कर अच्छी खासी आबादी कर दी अब यहाॅ तालाब के निशान जरूर मिलते है लेकिन तालाब भू माफिया लील गये और गोरेशहीदन के दक्षिण पूर्वी दिशा में जो भी मैदान ग्राम समाज के पड़े थे दाॅवपेंच बता कर लेखपालों ने उन जमीन पर भी कब्जा करा दिया और वहाॅ अब बिल्डिगों की कतारे खडी है। यहाॅ पर भूूमाफियाओं ने जो जमीने बेंची और जिन पर बिल्डिंगे खड़ी है उनमें चन्द लोगों के ही बैनामें है। नक्शे सायद किसी ही माकान मालिक के पास हों वर्ना ज्यादातर मकान विना नक्शा पास कराये बनवा लिये गये है। हाॅथी घास व जलकुम्भी डाल कर जिस तालाब के वजूद को मिटाया गया है इसी रास्ते से शहर का सारा गंदा पानी व बारिश का पानी निकलता है। अगर रास्ते पर भी बिल्डिगंें खड़ी कर दी गयीं तो बारिश में वहाॅ तबाहीं आयेगी जिसे संभाल पाना प्रशासन के बस के बाहर होगा और पूरा मोहल्ला जल मग्न हो जायेगा।