फतेहपुर। देवमई विकास खंड के विजौली ग्राम के प्रसिद्ध स्थान विनायक बाबा के दरबार के नित्य कई वर्ष से रुद्रमहायाग में षष्ठम दिवस में प्रातः बेला में यज्ञाचार्य राजन अवस्थी के दिशा निर्देशानुसार यज्ञ वेदियों का पूजन आहुति और उपनयन संस्कार संपन्न हुआ।बटुक के उपनयन के मध्य यज्ञाचार्य ने बटुक को उपदेश दिया कि यज्ञोपवीत के नियम धर्माे का पालन करना अत्यंत आवश्यक है जिस प्रकार से किसी भी आवश्यक कार्य को करने की एक विधि होती है और उस विधि की पूर्ति के निमित्त एक नियम होता है जब तक उस नियम का पालन न किया जाए तो किसी भी प्रकार से वह कार्य सफल नहीं होता वैसे ही यज्ञोपवीत संस्कार के नियमों का जब तक पालन न किया जाए तो संस्कार अधूरा ही रहता है। किसी भी यज्ञोपवीत धारी ब्रह्मचारी को चाहिए कि सूर्याेदय और सूर्यास्त के समय सूर्य दर्शन नही करना चाहिए, पृथ्वी पर सोना नही चाहिए, गुरुजनों और वृद्धजनों की सेवा और उनका सम्मान करना चाहिए, अभोज्य वस्तुओ को खाना नही चाहिए, होम आदि के लिए समिधा आदि लाकर यज्ञ आदि धर्मार्थ कार्यों में सहयोग करना चाहिए। श्रीराम कथा प्रवक्ता आचार्य यदुनाथ अवस्थी ने श्रीरामजी के विविध लीलाओं की कथा सुनाते हुए कहा हमारे आराध्य की कथा का सार प्रत्येक मानवों के लिए अमृत के समान है यदि श्री रामजी के जीवनी के कुछ अंशों को भी मानव ग्रहण कर ले तो उसका कभी भी अहित नहीं हो सकता साथ ही समाज में उसके यशकीर्ति को सदियों तक याद रखा जायेगा। श्रीरामजानकी जी के विवाहोत्सव की कथा को सुनकर सभी भक्त प्रेम आश्रुओं से ओत प्रोत हो गए। इस अवसर पर आचार्य अशोक अवस्थी, आचार्य मनीष बाजपेई, आचार्य, आशुतोष द्विवेदी (निरंजन), आचार्य विवेक अग्निहोत्री, आचार्य कुलदीप, आचार्य शरद, पूतन बाबा और ग्रामवासी उपस्थित रहे।