सड़क पर नमाज, पुलिस ने पीटा क्यों:मुफ्ती बोले- सड़क पर नमाज गलत है, लेकिन अगर पुलिस को दिक्कत थी तो हमसे कहते

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‘मक्की जामा मस्जिद में दोपहर एक बजे जुमे की नमाज होती है। 8 मार्च को लोग सुकून से नमाज अदा कर रहे थे। मस्जिद में जगह नहीं थी, इसलिए कुछ लोग बिल्कुल सड़क के किनारे नमाज अदा करने लगे। तभी पुलिस आ गई। एक पुलिसवाले ने नमाज पढ़ रहे कई लोगों को लातें मारीं। उन्हें धक्का मारकर गिरा दिया।दिन के 1:45 बजे थे। मक्की जामा मस्जिद के बाहर कुछ लोग जुमे की नमाज अदा कर रहे थे। नमाजी सड़क पर थे, इसलिए कुछ पुलिसवाले आए और उन्हें हटाने लगे। इनमें एरिया के चौकी इंचार्ज मनोज कुमार तोमर भी थे।मनोज कुमार ने पहले नमाजियों को धक्का मारा, फिर लात और थप्पड़ मारने लगे। लोगों ने इसका वीडियो बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। मामला बढ़ने लगा तो अफसर अलर्ट हो गए। चौकी इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया गया।मस्जिद के मुफ्ती और मौके पर मौजूद रहे लोगों से बात की।25 साल के नबील भी 8 मार्च को मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ने वाले लोगों में शामिल थे। वे बताते हैं, ‘मैं हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने मस्जिद जाता हूं। उस दिन काम की वजह से लेट हो गया। मस्जिद में जगह नहीं थी। मैंने देखा कि कुछ लोग बाहर भी नमाज पढ़ रहे हैं। इसलिए मैं भी वहीं नमाज पढ़ने लगा।’‘तभी कुछ पुलिस वाले आए और नमाजियों को पीटना शुरू कर दिया। मुझे भी लात और घूंसे मारे। वहां मौजूद लोगों ने मुझे बचाया।’

1.हमने मस्जिद के मुफ्ती आदिल कासमी से पूछा कि लोगों को सड़क पर जाकर नमाज पढ़ने की क्या जरूरत थी?मुफ्ती आदिल बताते हैं, ‘हमारे यहां सड़क पर नमाज नहीं होती है। हमारी कमेटी के लोग नजर रखते हैं कि कोई भी सड़क पर नमाज न पढ़े। शुक्रवार की नमाज 2 बार पढ़ाई जाती है ताकि लोगों को जगह कम ना पड़े। एक बार दोपहर के 1:15 बजे और दूसरी बार 1:45 पर नमाज होती है।’‘1:45 बजे नमाज हो रही थी, तब लोगों की तादाद ज्यादा हो गई। कुछ लोग जो देरी से आए थे, वे सड़क पर ही नमाज पढ़ने लगे। इसके तुरंत बाद पुलिस ने लोगों को पीटना शुरू कर दिया। इसका वीडियो वायरल हो गया।’मुफ्ती आदिल चौकी इंचार्ज मनोज कुमार तोमर को सस्पेंड करने को नाकाफी मानते हैं। वे कहते हैं, ‘चौकी इंचार्ज मनोज कुमार तोमर ने एक नहीं, कई लोगों को नमाज पढ़ते वक्त लातें मारी थीं। ये हिंदुस्तान को शर्मसार करने वाली घटना है।’मुफ्ती आदिल बताते हैं, ‘कोविड-19 के बाद से ही किसी को सड़क पर नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है। महामारी से पहले यहां पुलिस की निगरानी में नमाज होती थी।

2.वीडियो सामने आने के बाद चौकी इंजार्च सस्पेंड
वायरल वीडियो में तीन पुलिसवाले दिख रहे हैं। इनमें मनोज कुमार तोमर लोगों की पीठ पर लातों से और सिर पर मार रहे हैं। इसके बाद कुछ लोग उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। इसी दौरान धक्का-मुक्की होती है। इस घटना के बाद इंद्रलोक में लोगों ने प्रदर्शन भी किया।प्रदर्शन के बाद DCP नॉर्थ मनोज कुमार मीना ने वीडियो में दिख रहे सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार तोमर को सस्पेंड कर दिया। मनोज कुमार तोमर इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन के पास बनी चौकी के प्रभारी थे। एरिया में माहौल न बिगड़े, इसलिए पुलिस की एक टीम तैनात कर दी गई है।

3.कांग्रेस लीडर बोले- DCP ने भीड़ को संभालने की गुजारिश की थी
अब्दुल वाहिद क़ुरैशी दिल्ली कांग्रेस के माइनॉरिटी विंग के चेयरमैन हैं। वे इंद्रलोक में ही रहते हैं। अब्दुल वाहिद कुरैशी बताते है, ‘मैं उस दिन शहर में नहीं था। मेरे पास DCP मनोज कुमार मीणा का फोन आया। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं भीड़ को काबू करने में मदद करूं। मैंने उनसे कहा कि पहले आप अपने इंस्पेक्टर पर कार्रवाई तो कीजिए। आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और हमसे कह रहे हैं कि मैं लोगों को वापस घर लौटने के लिए कहूं।’अब्दुल वाहिद का दावा है कि मेरी बात सुनकर DCP ने वादा किया कि मनोज कुमार तोमर को सस्पेंड कर दिया जाएगा। इसके बाद मैंने अपने करीबियों को लोगों को शांत करवाने के लिए भेजा।हमने अब्दुल वाहिद से पूछा कि आप दिल्ली माइनॉरिटी कम्यूनिटी के चेयरमैन हैं, क्या ऐसे मामले पहले भी आपकी नजर में आए हैं?वे जवाब देते हैं, ‘मैं ऐसी कई घटनाएं लगातार सुन रहा हूं और ये गलत भी हैं। ये देश हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी का है।
30 साल से मस्जिद का काम देख रहे शकील बोले- ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई
हमने इस मसले पर आसपास के लोगों से बात की, लेकिन वे कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुए। हालांकि उन्होंने कहा कि आज तो आरोपी SI को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन क्या गारंटी है कि वो वापस ड्यूटी पर आकर ऐसी हरकत दोबारा नहीं करेंगे। इसलिए उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए।यहीं हमें शकील अहमद मिले। वे 30 साल से मक्की जामा मस्जिद की देखरेख कर रहे हैं। शकील अहमद कहते हैं, ‘मैं 30 साल से इस मस्जिद में नमाज पढ़ रहा हूं। 30 साल में मैंने इस तरह की घटना कभी नहीं सुनी। उम्मीद करता हूं कि आगे भी ऐसा कभी ना हो। यहां सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। किसी का मजहब इस तरह की हिंसा की बात नहीं सिखाता है।’

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