न्यूज़ वाणी
देवा शरीफ़ दरगाह में खेली गई धूम धाम से होली
लखनऊ/बाराबंकी रंगों के त्यौहार होली की बाराबंकी में कुछ अलग ही छटा है। यहां देवा कस्बे में स्थित सरकार हज़रत हाजी हाफिज़ वारिस अली शाह बाबा आलम पनाह की दरगाह पर खेले जाने वाली रंगों की होली के पैगाम से नफरत की सभी दीवारें टूट जाती हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म और जाति से हट कर इंसानियत और एकता की होली खेलने देश के कोने–कोने से लोग पहुंचते हैं।बाराबंकी जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर देवा क्षेत्र में स्थित विश्व विख्यात सरकार हज़रत हाजी हाफिज़ वारिस अली शाह बाबा आलम पनाह की दरगाह पर सोमवार को होली के पर्व पर जायरीनों (श्रद्धालुओं) का हुजूम उमड़ पड़ा। भारत के कई राज्यों से हजारों की संख्या में जायरीन सोमवार को होली खेलने पहुंचे थे। रंग में सराबोर जायरीनों ने बताया कि देवा में मोहब्बत और भाईचारे के संदेश के साथ कौमी एकता की होली दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां सभी धर्मों के लोग होली के दिन आपसी भाईचारा और एकता का संदेश देते हैं। जायरीनों में होली को लेकर रहता है उत्साह
होली पर्व के दिन दरगाह कमेटी के साथ स्थानीय और दूर दराज से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ फूलों की चादर से सजा जुलूस निकालते हैं। यह जुलूस मुख्य द्वार कौमी एकता गेट से निकालकर देवा कस्बे में घुमाया जाता है। इसके बाद यह दरगाह परिसर में 12 बजे पहुंचता है और समापन के दौरान जमकर रंग, गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है। सूफीसंत की दरगाह पर मुसलमानों से ज्यादा हिंदू श्रद्धालुओं के संख्या रहती है। ये लोग अपने मन की मुरादों की चादर पेशकर प्रार्थना और दुआओं को कुबूल करवा कर वापस लौट जाते हैं। यहां के स्थानीय निवासी प्रताप जायसवाल बताते हैं कि होली दरगाह के मुरीद और मानने वाले एक साथ रंग और गुलाल खेलते हैं।