गाँव मे शव आने की आश मे बैठे रहे ग्रामीण

-दारोगा के ईमानदारी और गाँव मे अच्छे व्यवहार की होती रही चर्चा

चैडगरा, फतेहपुर। दारोगा की मौत से पैतृक गाँव गम के आगोश मे समा गया। हवाएं थम सी गई। हर आँखों मे आँसू की छलक के साथ दारोगा के ईमानदारी और गाँव मे उनके अच्छे व्यवहार की चर्चा होती रही। कल्यानपुर थाना क्षेत्र के जलाला गाँव के रामऔतार गौड़ के बड़े पुत्र मनोज कुमार गौड़ 1990 में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। लखीमपुर खीरी मे गीता देवी से विवाह हुआ। दो पुत्र ऋतिक व हर्षित है व एक पुत्री आँचल है। उरई, लखमीपुर, लखनऊ मे सिपाही के बाद कोतवाली सीतापुर में बतौर पैरोकार कार्यरत थे। पदोंन्नति के बाद 31 अक्टुबर 2023 को सीतापुर के मछरेहटा थाना मे उपनिरीक्षक मनोज कुमार हल्का इंचार्ज थे। शुक्रवार सुबह थाना परिसर मे गोली मारकर आत्महत्या की जानकारी परिजनों को दी गई थी कोहराम मच गया। मृतक दरोगा की पत्नी व बच्चे लखनऊ के बिजनौर मे सरोजनीनगर मोहल्ले मे स्थित निजी आवास मे रहते थे व पिता और एक बहन गाँव मे थी।छोटा भाई प्राइवेट नौकरी करता था।
इनसेट
पुलिस ने सुसाइड नोट को पहले नकारा फिर सोशल मीडिया मे हुआ वायरल
ईमानदार व्यक्ति की पुलिस मे कोई इज्जत नही
स्थानीय सीतापुर पुलिस सुसाइड का कही जिक्र ही नही कर रही थी।सोशल मीडिया मे दोपहर बाद सुसाइड का एक पत्र वायरल हुआ।जिसमे ईमानदार व्यक्ति की पुलिस मे कोई इज्जत नही है और थाने के एसएचओ व अन्य पुलिस कार्मियो पर घूस लेने व बिना वजह लोगो को फँसाने पैसे एठने का आरोप है।चचेरे भाई आलोक गौड़ ने बताया हमेशा वो न्याय और सच्चाई की राह पर चलने की सीख देते थे।वह जिस गरीबी से उबरे व आठ बहने रही जिनमे सात का विवाह किया इतने संघर्ष के बाद जब हार नही माना तो ऐसे कैसे गोली मार सकते है।
गाँव में दोपहर तक नही आया शव, गम मे डूबे लोग
बिजनौर मे परिजनों ने शव रख काटा हंगामा
दरोगा मनोज के परिजन सीतापुर से रात्री मे शव लेकर बिजनौर आवास पहुँचे। सुबह वहां बिजनौर सड़क मे रखकर हंगामा कर मछरेहटा पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगाए। परिजनो को समझाने के लिए बिजनौर सहित क्षेत्र की पुलिस व पुलिस अधीक्षक भी पहुँचे। दो घंटे से अधिक तक हंगामा होता रहा।इधर गाँव मे शव दोपहर बाद तक नही आया। गाँव के लोग गलिया निहारते रहे। दरोगा के पैतृक घर के बाहर लोगो का जमावड़ा लगा रहा। गाँव के अनूप सिंह ने कहा गाँव मे मनोज को सब प्यार से सोखा कहा करते थे। बहुत ईमानदार व सज्जन थे। द्वारिका ने बताया जब भी गाँव आते थे तो सबके पैर छूते और मजाकिया अंदाज था। इस तरह गाँव के लोगो गमगीन रहे।

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