विजयीपुर, फतेहपुर। विजयीपुर क्षेत्र के ग्राम खेमकरनपुर में हो रही भागवत कथा के आज तीसरा दिन विदुर जी महाराज की कथा का वर्णन किया गया कु० भक्ति त्रिपाठी ने बताया विदुर उद्धव से कहते है कि आप तो भगवान के करीबी रहे बड़े भाग्यशाली व्यक्ति हो, जो भगवत धर्म का उपदेश आपको मिला है। वही भगवत धर्म का उपदेश मुझे भी बताने की कृपा करें। उद्धव महाराज ने कहा कि विदुर जी मैं जानता हूं कि आप कोई साधारण मानव नहीं है। भगवान जब स्वभाव गमन किए तो उस समय भगवान ने किसी को याद नहीं किया। लेकिन भगवान सिर्फ आपको तीन बार याद किए कि मेरे विदुर दाना कहां है। आप तो बड़े भाग्यशाली है आप मुझे भगवत धर्म का उपदेश दे दीजिए। उद्धव जी महाराज ने कहा विदुर जी हम समय में तो बद्रीका आश्रम जा रहा हूं। आप एक काम करिए यहां से कुछ दूरी पर मैत्री ऋषि का आश्रम है।
देवताओं को बुलाने वाले बुद्धि का नाम ही है देवबुद्धि
उन्होंने कहा कि देवताओं को बुलाने वाले बुद्धि का नाम ही देव बुद्धि है। करदम ऋषि शारीरिक तपस्या करते थे। 1 हजार वर्ष तक कठिन तपस्या किया उन्होंने। उनकी कठिन तपस्या को देखकर भगवान नारायण प्रकट हुए। करदम ऋषि की तपस्या को देखकर भगवान नारायण के आंखों से अश्रु धारा बह गए। और जो अश्रु धारा बहे उससे इंद्र सरोवर बने। पांच सरोवर में ये सरोवर शामिल है। जब राधा रानी और श्रीकृष्ण पहली बार मिले और जब दोनों एक-दूसरे को देखे तो अश्रु धारा बहे। वही प्रेम सरोवर बने। विदुर पांडवों के सलाहकार थे और उन्होंने दुर्याेधन द्वारा रची गई साजिश से कई मौके पर उन्हें मृत्यु से बचाया था। विदुर ने कौरवों के दरबार में द्रौपदी के अपमान का विरोध किया था। कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान विदुर धर्म और पांडवों के पक्ष में थे। भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार, विदुर को यम (धर्म) का अवतार माना जाता था। इस कथा को सुन श्रद्धालु भव विभोर हुए ’इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि गोदौरा शिवपत सिंह, सत्यनारायण सिंह, रोस्तम सिंह, हीरालाल, रामकृपाल सिंह, मिथुन सिंह, करन सिंह आदि लोग मौजूद रहें।’