स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गए समस्त निरीक्षण कार्यक्रम की सीडीओ ने की समीक्षा

फतेहपुर। प्रारंभिक बाल्यावस्था के दौरान संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों को बढ़ाने वाली परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस में मस्तिक विकास हेतु हो रहे नवाचारों की स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ जिला अधिकारीयों ने की सूक्ष्म स्तरीय समीक्षा’ आकांक्षी जनपद फतेहपुर-मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना आई. ए.एस. के नेतृत्व एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. इस्तियाक अहमद के मार्गदर्शन में दिनाँक 24 मई 2024 एवं क्रमशः 25 मई 2024 को जिला पोषण पुनर्वास केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. रघुनाथ सिंह, जिला मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य सलाहकार (डी.पी.एम. यू.-एन.एच. एम) अलोक कुमार एवं जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डी.पी.एम. यू.-एन.एच. एम) धीरेन्द्र कुमार वर्मा द्वारा नीति आयोग के मार्गदर्शन में वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से जुलाई वर्ष 2022 से संचालित परियोजना श्जीवन के प्रथम 1000 दिवस के अंतर्गत हाई टच आँगनबाड़ी केंद्र ग्राम हासिमपुर-भेदपुर, तारापुर-धरमपुर, एवं कशेरुआ का निरीक्षण किया गया, साथ ही अधिकारीयों के द्वारा क्रियान्वयन टीम का मार्गदर्शन, परियोजना से प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन, सेवा प्रदाता (ट्रिपल-ए) के ज्ञान कौशल एवं व्यव्हार परिवर्तन का अवलोकन भी किया गया। इस भ्रमण कार्यक्रम के दौरान विक्रमशिला टीम की राज्य प्रमुख साक्षी पवार और वैन लीर फाउंडेशन के जिला समन्वयक अनुभव गर्ग ने अधिकारीयों को परियोजना के उद्देश्यों और पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी। निरीक्षण के दौरान प्रारंभिक बाल विकास विशेषज्ञ आर्यन कुशवाहा, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन बैंगलोर से अंजली, स्मृति श्री द्वारा हाई टच आँगनबाड़ी केंद्र में प्रारंभिक बाल विकास हेतु बनाई गई आकर्षक संरचनाये, प्रथम 1000 दिवस का संवेदनशील कोना प्रदर्शित किया गया। स्वास्थ्य एवं पोषण विशेषज्ञ सोनल रूबी राय, परियोजना अधिकारी प्रशांत पंकज, अनामिका पांडेय के द्वारा परवरिश का आँगन, परवरिश की चैपाल, गृह भ्रमण आदि गतिविधियों से सभी अधिकारीयों को अवगत कराया गया। इस सम्पूर्ण निरीक्षण के दौरान बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की सेक्टर पर्यवेक्षक ब्लाक- हसवा विमला शर्मा, हासिमपुर भेदपुर की आँगनबाड़ी कार्यकत्री नीलम देवी, आशा कार्यकर्ता अनीता साहू, हाई टच ग्राम तारापुर-5 आँगनबाड़ी कार्यकत्री उमा देवी, सीएचओ शालिनी अवस्थी, ए.एन.एम. सुनीता देवी, मंजू देवी, आशा कार्यकर्ता हितावती देवी की ग्राम कसेरूवा की आशा सुनीता देवी, आँगनबाड़ी कार्यकत्री अनुराधा देवी आदि ने अपने अथक प्रयास, ज्ञान एवं कौशल से समस्त निरीक्षण अधिकारीयों को परियोजना क्रियान्वयन से सम्बंधित जानकारी प्रदान करने में पूर्ण सहयोग प्रदान किया। परियोजना टीम ने बताया की प्रारंभिक बाल्यावस्था के दौरान जीवन के प्रथम 1000 दिनों में संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों में वृद्धि के सन्दर्भ में गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक की उम्र तक होने वाले मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास के लिए लगातार पिछले दो वर्षाे से नीति आयोग के मार्गदर्शन में आकांक्षी जनपद फतेहपुर में एक विशेष नवाचार कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के समन्वय से इस परियोजना का क्रियान्वन किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गए समस्त निरीक्षण कार्यक्रम की मुख्य विकास अधिकारी पवन मीना के द्वारा समीक्षा की गई व उसके साथ ही परियोजना टीम के कार्यों की सराहना करते हुए यह भी कड़े निर्देश दिए गए की परियोजना में किये जा रहे नवाचारों में से केवल सफल परीक्षण एवं लम्बे स्थाई विकास वाले विषयों को ही दोहराने का कार्य किया जाये, एवं परियोजना में एक ऐसा संस्थागत सामुदायिक विकास ढांचा तैयार किया जाये जिसमें केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा चलाई जा रही समस्त बाल विकास योजनाओं का समावेश हो, मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जनपद में पदस्थ समस्त शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारीयों की टीम बना कर परियोजना के क्रियान्वयन पर विशेष सुझाव देने हेतु निर्देशित किया गया। मस्तिष्क विकास के लिए बिना खर्चे व अत्यंत कम खर्चे से बने खिलौनों के निर्माण हेतु दिए गए प्रशिक्षण ने मोहा सभी स्वास्थ्य अधिकारीयों का मन बाजार में रु 600 से रु 1100 तक की कीमत में बिकने वाले सेंसरी टच पैड को बना सकेंगे अब केवल रू 50 व उससे भी कम की कीमत में हाई कन्ट्रास फ्लैश कार्ड जिसका बाजार मूल्य रु 699 है जिसे घर पर केवल रु 50 से रु 60 तक के खर्चे पर बनाया जा सकता है, इसके साथ ही सेंसरी बॉटल, कलर कार्ड, पोम पोम, लैशिंग बोर्ड, पेयजल, सॉफ्ट टॉय जैसे खिलौनों को भी ख़रीदे बिना घर के अनुउपयोगी वस्तुओं से बनाया जा सकता है, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. इस्तियाक अहमद ने कहा स्वास्थ्य और पोषण के साथ यदि मस्तिष्क विकास के बारे में भी सोचा जाने लगा तो भारत के निम्न आय वर्ग के परिवारों में भी हर घर में पड़ी लिखी पीढ़ी का निर्माण होगा जन्म के समय ही 10 हजार करोड़ मस्तिष्क कोश को लेकर जन्म लेता है-प्रत्येक नवजात शिशु, परियोजना को सही दिशा ,सम्बल और सहयोग मिला तो आकांक्षी जनपद फतेहपुर इन प्रयोगो/परीक्षणों के लिए अपनी एक विशेष पहचान बना सकता है।

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