-भागवत कथा में पूतना वध का प्रसंग सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
फतेहपुर। विजयीपुर क्षेत्र के रानीपुर बहेरा गांव में चल रहे भागवत कथा के चैथे दिन पूतना वध का कु० भक्ति त्रिपाठी ने पूतना वध और बकासुर वध का संक्षेप में सारांश स्पष्ट करते हुए कहा कि भगवान भक्तों की रक्षा और पापियों के विनाश के लिए इस धरती पर अवतार लेते हैं। ईश्वर इस धरती पर जब अवतरित होता है तो इसके पीछे संपूर्ण मानव जाति और सृष्टि का कल्याण निहित होता है। उन्होंने आगे कथा का जिक्र करते हुए कहा कि कंस ने पूतना नाम की राक्षसी को बाल कृष्ण का वध करने के लिए भेजा किंतु भगवान अंतर्यामी होते हैं वह पूतना के उद्देश्य को समझ गए। विषैला दूध को पीते हुए उन्होंने अपने दोनों हाथों से कुच धाम करके उसके प्राण समेत दुग्धपान करने लगे । अंततः वह अपने असली रूप में जमीन पर गिर गई जिसकी जानकारी गोकुल वासियों को हुई। उन्होंने कहा की भागवत कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ईश्वर की भक्ति करके मानव को उसके परमधाम की प्राप्ति होती है। भक्ति के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। इंद्र को अहंकार कर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छिगोरियां से गोवर्धन पर्वत को उठा लिए और समस्त गोकुल वासियों को और ग्वालो को इंद्र के प्रकोप से बचा लिया और इंद्र का अहंकार चूर कर दिए। इस मौके पर प्रणेश अग्निहोत्री, गोदौरा प्रधान प्रतिनिधि शिवपत सिंह,अमित पांडे, अरविंद सिंह ,अमरनाथ शर्मा, पुत्तन सिंह आदि लोग मौजूद रहे।