औग, फतेहपुर । कानपुर के सेन्ट्रल पार्क मे चल रही श्री शिव महापुराण की अमृत मयी कथा टीवी एवं रुद्राभिषेक कार्यक्रम के तीसरे दिन व्यास आशीष पाण्डेय द्वारा शिव बारात का बखान करते हुए कहा कि शिवजी के गण शिवजी का श्रृंगार करने लगे। जटाओं का मुकुट बनाकर उस पर साँपों का मोर सजाया गया। शिवजी ने साँपों के ही कुंडल और कंकण पहने, शरीर पर विभूति रमायी और वस्त्र के स्थान पर बाघम्बर लपेट लिया। शिवजी के सुंदर मस्तक पर चन्द्रकला, सिर पर गंगाजी, तीन नेत्र, साँपों का जनेऊ, गले में विष और छाती पर नरमुण्डों की माला थी। इस प्रकार उनका वेष अशुभ होने पर भी वे कल्याण के धाम और कृपालु हैं। एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू से सुशोभित गणों के मध्य परम गुणी, दस भुजाओं से युक्त, हाथ में पिनाक, शूल और कपाल लिए, गजचर्म ओढ़े हुए शिवजी सफेद स्फटिक के समान धर्मरूपी वृषभ पर सवार होकर गौरा को ब्याहने चले हैं। बाजे बज रहे हैं। शिवजी को देखकर देवांगनाएँ मुस्कुरा रही थीं और कहती थीं कि इस वर के योग्य दुल्हन संसार में नहीं मिलेगी।वही शिव बारात की कथा सुन भक्त मंत्रमुग्ध रहे इस मौके मे आचार्य कुलदीप द्विवेदी के आलावा समस्त भक्तगण मौजूद रहे ।