गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा घाट में हुआ भृगु गंगा काव्य गोष्ठी का आयोजन

फतेहपुर। जनपद के कवि एवं साहित्यकारों द्वारा गंगा दशहरा के अवसर पर उत्तर वाहिनी गंगा तट पर भृगु गंगा काव्य गोष्ठी का आयोजन शिव शरण सिंह चैहान अंशुमाली की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए काव्य गोष्ठी के प्रेरणा स्रोत स्वामी विज्ञानानंद जी सरस्वती ने कहा कि यह तीसरा वर्ष है जब हम गंगा दशहरा के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इसके आयोजन पीछे उद्देश्य है कि आज की युवा पीढ़ी किताबें और साहित्य से दूरी बनाए हुए हैं और दिनभर मोबाइल पर ही अपना सारा वक्त गुजरता है। ऐसी स्थिति में साहित्य और किताबों से लगाओ बढ़ाने हेतु युवा पीढ़ी को प्रेरित किया जाना इस काव्य गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य है। साथ ही जनपद के कवियों साहित्यकारों को प्रोत्साहित करना भी इस गोष्ठी का उद्देश्य है ।इसी क्रम में स्वामी जी ने बताया कि आज की काव्य गोष्ठी का विषय जनपद के अमर शहीदों की वीरगाथा एवं गंगा का महत्व था। जिसे उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाओं में डाल कर प्रस्तुत किया। इसी उद्देश्य को लेकर के आगामी वर्ष में जनपद के अमर शहीदों की वीरगाथा पर पद्य शैली में लिखे जाने हेतु एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाना है, जिसमें प्रथम पुरस्कार 11000 रुपए एवं द्वितीय 71 00 रुपए एवं तृतीय पुरस्कार 5100 रुपए की राशि रखी गई है तथा पैनल के माध्यम से चयनित उत्कृष्ट रचनाओं के चुने जाने पर उनको फतेहपुर साहित्य रत्नश् के नाम से नवाजा जाएगा। काव्य गोष्ठी में डॉ चंद्र कुमार पांडेय, महेश चंद्र त्रिपाठी, केपी सिंह कछुवाह, प्रेम नंदन जी, शिव सिंह सागर, शिवम हथगामी, अनुज, राजेश तिवारी, शैलेंद्र द्विवेदी आदि उपस्थित होकर अपनी रचनाओं का पाठ कर उपस्थित गन्यमान व्यक्तियों को अवगत कराया। कार्यक्रम का सफल संचालन शिवशरण श्बंधु हथगामी ने किया तथा उन्होंने अपनी रचना श्पानीश् को पढ़ते हुए कहा कि, वो जो कुछ लोग करना चाहते हैं, उन्हें करने न देना तुम कभी भी। कि पानी आंख का हो या ज़मीं का, इसे मरने न देना तुम कभी भी। इसके बाद भृगु गंगा पुस्तकालय का शुभारंभ संतोष द्विवेदी वरिष्ठ राजनेता ने फीता काटकर किया। जहां पर जनपद के तमाम साहित्यकारों की रचनाएं व वैदिक रचनाओं का संग्रह रखा गया है। कार्यकर्म का संयोजन राजेंद्र प्रसाद, रमेशचंद्र किया तथा आयोजन के सफल आयोजन में मणिशंकर मौर्य, कृष्ण दुबे, रामजी आचार्य, अरविंद मौर्य, सत्यराम, रामधनी आदि ने सहयोग दिया।

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