फतेहपुर। डॉ0 भीमराव अंबेडकर राजकीय महिला महाविद्यालय, में सांस्कृतिक क्लब और संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आज गुरूवार को वाल्मीकि जयंती हर्षाेल्लास पूर्वक मनाई गई। प्राचार्य प्रोफेसर डॉ गुलशन सक्सेना की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के द्वारा मां सरस्वती का वंदन किया गया। उपस्थित प्राध्यापकों ने महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया। आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि द्वारा स्थापित मानदंड भारत ही नहीं बल्कि समग्र विश्व को शांति की राह दिखा सकते हैं। अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रशांत द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण आज भी पाप संताप को ध्वस्त कर रही है । रामायणकालीन समदर्शिता, समन्वित समाज और सामाजिक न्याय के आदर्श हमेशा प्रासंगिक रहेंगे । संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ चारू मिश्रा ने कहा कि महाकवि वाल्मीकि राम की महामानवता के कायल हैं। राम के मर्यादित रूप में उन्होंने मनुष्य को श्रद्धा के उच्च शिखर पर आरूढ़ कर दिया। वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ रामायण के माध्यम से परिवार समाज एवं राष्ट्र के हितार्थ नैतिक नियमों के उत्कृष्ट मानदंड निर्धारित किए हैं। बीए तृतीय वर्ष की छात्रा श्रेया त्रिपाठी और काजल सिंह ने भारतीय संस्कृति के स्वरूप को उद्घाटित करने वाले भारतम् भारतीयं नमामि वायम इस संस्कृत गीत के द्वारा महर्षि वाल्मीकि को श्रद्धांजलि दी। उक्त कार्यक्रम में प्रोफेसर मीरा पाल, प्रोफेसर शकुंतला, शरद चंद्र राय, रमेश सिंह, बसंत कुमार मौर्य डॉ चंद्रभूषण, डॉ राजकुमार और आनंदनाथ उपस्थित रहे।