किसी भी उम्र में प्यार किया जा सकता है और हर उम्र में प्यार का इजहार भी – संजय मिश्रा

मुंबई। किसी भी उम्र में प्यार किया जा सकता है और हर उम्र में प्यार का इजहार भी किया जा सकता है जो कि बहुत जरूरी है। जिंदगी में रिश्तों की अहमियत और इन रिश्तों को निभाने की दास्ता पर केंद्रित फिल्म ‘अंग्रेजी में कहते हैं’ बनाई गई है जो कि 18 मई शुक्रवार को सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है। हरीष व्यास निर्देशित इस फिल्म में प्रसिद्ध अभिनता संजय मिश्रा यशवंत बत्रा के किरदार में है जिनकी उम्र 52 वर्ष है। संजय की पत्नी किरण बत्रा का किरदार एकावली खन्ना निभा रही हैं। पंकज त्रिपाठी का फिरोज नामक अहम किरदार है। फिल्म में दो युवा किरदार भी हैं। अंशुमन झा (जुगनू) जो कि यशवंत बत्रा का जमाई है और शिवानी रघुवंशी (प्रीति) ने यशवंत की बेटी का किरदार निभाया है।फिल्म के टाइटल और कहानी को लेकर मशहूर अभिनेता संजय मिश्रा कहते हैं कि, मुझसे अकसर अंग्रेजी में सवाल किया जाता है। एेसा अमूमन होता है। आई लव यू कहने की बात करें तो पूरी दुनिया में ज्यादातर अंग्रेजी में ही यह शब्द कहे जाते हैं। तो फिल्म का टाइटल भी ‘अंग्रेजी में कहते है’ रखा गया है। बात करें इस इमोशन की, कि हम कितनी बार इसे एक्सप्रेस कर पाते हैं तो पता चलता है कि, इस पर पता नहीं क्यों समाज में बंधन डाल दिया गया है। इस बात को समझना जरूरी है कि आई लव यू का उपयोग सिर्फ कपल्स के लिए नहीं बल्कि माता-पिता, भाई बहन के लिए भी हो सकता है। ये फीलिंग का एक्सप्रेशन है जिसमें हम किसी भी उम्र में किसी से भी कह सकते हैं जिससे हम प्यार करते हैं। लेकिन अगर हम बात सिर्फ कपल्स की करें तो उम्रदराज कपल्स अपने प्यार को जताते नहीं हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि एक व्यक्ति अॉफिस जाता है और उनकी पत्नी घर संभाती है। दोनों के बीच प्यार है लेकिन दोनों प्यार को बतलाते नहीं जताते नहीं हैं। हम अपने परिवारों की ही बात करें तो हमारे माता-पिता के बीच प्यार था लेकिन वो जताते नहीं थे। तो फिल्म में बताया गया है कि कैसे 52 वर्षीय के व्यक्ति को समझ में आता है कि उसे प्यार का इजहार करना है और उसे अपनी पत्नी को समझना होगा।संजय मिश्रा अपने किरदार यशवंत बत्रा के बारे में कहते हैं कि, यह किरदार किसी भी पापा या चाचा की तरह है। किरदार की बात है तो बता दूं कि किरदार तो वह है जो नवाजुद्दीन सिद्दीकी मंटो में निभा रहे हैं। मैं तो निभा रहा हूं एक सामाजिक किरदार जो हर घर-घर में है। घर-घर की कहानी है। किसी को प्यार होता नहीं है। किसी को प्यार होता है तो वो उसका इजहार नहीं करता है, तो कोई समझता नहीं है। फिल्म में यशवंत को अपनी पत्नी से प्यार है लेकिन वो इसके बारे में अपनी पत्नी से कह नहीं पाता है। लेकिन जब देर हो चुकी होती है और पत्नी घर छोड़कर जा चुकी होती है तब उसे इस बात का अहसास होता है और उसे अपनी पत्नी की कमी महसूस होती है और वो अपने प्यार का इजहार करता है।पति-पत्नी के बीच रिश्तों को लेकर संजय मिश्रा कहते हैं कि, यह बहुत जरूरी है कि, दोनों एक दूसरे को, काम को समझकर और एक दूसरे की कद्र करें। चूंकि होता यह है कि, घर में पति बाहर काम पर जाता है और पत्नी अगर हाउस वाइफ है तो उसकी कद्र नहीं की जाती है। कई बार तो वर्किंग वुमन भी है तो भी उसे उतनी अहमियत नहीं मिलती।

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