प्रधानपुत्र की हुकूमत विकास के नाम पर घोटाले, मानकों की अनदेखी और ग्रामीणों में दहशत

 

औंग, फतेहपुर । सरकारी योजनाओं और जनता के टैक्स के पैसों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के इरादे से पंचायतों में विकास कार्यों के लिए बजट जारी किया जाता है। लेकिन देवमई ब्लॉक की खरौली ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर कुछ और ही खेल खेला जा रहा है। यहां महिला प्रधान का नाम मात्र का दर्जा है, जबकि असल में पंचायत की बागडोर उनके पुत्र शैलेंद्र सिंह संभाले हुए हैं, जो एक शिक्षामित्र भी हैं। गांव में उनकी हुकूमत ऐसी है कि लोग खुलकर बोलने से कतराते हैं और नाम न छापने की शर्त पर ही अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं।
प्रधानपुत्र की मनमानी महिला प्रधान का दर्जा बस कागजों तक
ग्राम पंचायत में निर्मला सिंह को महिला प्रधान बनाया गया है, जो सरकार की महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल का हिस्सा है। लेकिन असलियत में पंचायत का कामकाज उनके पुत्र शैलेंद्र सिंह ही चला रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शैलेंद्र सिंह खुद को प्रधान मानते हैं और पंचायत के हर छोटे-बड़े काम में हस्तक्षेप करते हैं। यहां तक कि सरकारी योजनाओं का लाभ देने से लेकर पंचायत फंड के खर्च तक, सभी निर्णय वही लेते हैं। इस पर किसी तरह का विरोध करना ग्रामीणों के लिए मुश्किल हो गया है, क्योंकि शैलेंद्र सिंह का रुतबा और प्रभाव गांव में हावी है।
विकास कार्यों में धांधली जियो टैगिंग में फर्जीवाड़ा
खरौली ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर बड़े स्तर पर धांधली की जा रही है। सरकार की पारदर्शिता नीति के तहत श्मेरी पंचायतश् एप में विकास कार्यों की वास्तविक स्थिति दिखाने के लिए जियो टैगिंग और लाइव लोकेशन के साथ तस्वीरें अपलोड करनी अनिवार्य है। लेकिन यहां गड़बड़ी का आलम यह है कि फर्जी फोटो अपलोड कर दिए जाते हैं, जिनमें धुंधली और ब्लर तस्वीरें डालकर काम की गुणवत्ता छिपाई जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस फर्जीवाड़े से मानकविहीन कार्यों को सही ठहराया जा रहा है और सरकारी बजट का गलत इस्तेमाल हो रहा है।
सफाई व्यवस्था का हाल बेहाल, नालियां बंद और गंदगी का साम्राज्य
गांव में सफाई का नामोनिशान नहीं है। कई नालियां जाम पड़ी हैं और गंदगी का अंबार लगा हुआ है। खरौली ग्राम पंचायत में विकास कार्यों का फर्जीवाड़ा बिना फोटो और जियो टैग के हुए भुगतान, गहन जांच की मांग खरौली ग्राम पंचायत में सरकारी विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां कई विकास कार्यों के लिए सरकारी बजट से भुगतान तो कर दिया गया है, लेकिन इन कार्यों का प्रमाण के तौर पर जरूरी फोटो और जियो टैग गायब हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, ग्राम पंचायत के सभी कार्यों की तस्वीरें और जियो टैग अपलोड करना अनिवार्य है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन खरौली पंचायत में इन नियमों की अनदेखी करते हुए वाउचर निकालकर भुगतान किया जा चुका है।
बिना फोटो और जियो टैग के जारी किए गए वाउचर
सूत्रों के अनुसार, पंचायत में कई कार्य ऐसे हैं जिनकी फोटो श्मेरी पंचायतश् एप पर अपलोड ही नहीं की गई है। ग्राम पंचायत की वेबसाइट और एप में तस्वीरों का अभाव दिख रहा है, जिससे संदेह पैदा होता है कि क्या वाकई ये कार्य धरातल पर हुए भी हैं या नहीं। नियमों के मुताबिक, हर कार्य की लाइव लोकेशन के साथ तस्वीरें उपलब्ध होनी चाहिए ताकि उनकी सत्यता की जांच की जा सके। परंतु, ग्राम पंचायत द्वारा जियो टैग किए बिना ही वाउचर निकाले गए और भुगतान कर दिया गया, जिससे ग्राम पंचायत में चल रही गड़बड़ियों की पुष्टि होती है।
ग्रामीणों की मांगः गहन जांच और दोषियों पर कार्रवाई
ग्राम पंचायत के इस फर्जीवाड़े पर ग्रामीणों ने कड़ी आपत्ति जताई है और जिला प्रशासन से इस मामले की गहन जांच की मांग की है। उनका कहना है कि बिना जियो टैग और फोटो के हुए भुगतान से सरकारी बजट का दुरुपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह फर्जीवाड़ा पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच सके। खरौली ग्राम पंचायत का यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और नियमों की अनदेखी का उदाहरण बन गया है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि जिला प्रशासन जल्द इस मुद्दे पर संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा।
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