मोटा कमीशन पाने के लिए आशा वर्कर गर्भवती को ले जाती है निजी अस्पताल।
5000 कमीशन के बदले प्रसूता के परिवार वालों को गवाने होते हैं 20000
*लखीमपुर खीरी* आशा वर्कर को गांव में तैनात कर गर्भवती महिलाओं को साथ सेवा देने का प्रदेश सरकार उद्देश्य अपनी राह से भटक गया आशा वर्कर ने सरकारी अस्पताल में मुफ्त में डिलीवरी कराने के बजाय मोटी कमीशन के चक्कर में निजी अस्पतालों में सांठगांठ कर ली है या पूरा ग्रह बनकर लंबे समय से काम कर रहा है मगर इसका खुलासा रविवार को श्याम ओके निघासन के गुप्ता क्लीनिक पहुंचने से हुआ आशा वर्कर एक निश्चित मानदेय तो पाती हैं डिलीवरी कराने पर पर भी उन्हें करीब 12 ₹100 की धन राशि दी जाती है यह यह रकम दो टुकड़ों में दी जाती है एक बार रकम पाने के बाद जब दूसरी का नंबर आता है तो वह मौका होता है कि डिलीवरी कराने का तब आशा वर्कर को निजी अस्पताल की याद आ जाती है दरअसल यह डिलीवरी कराने पर ₹5000 तक मिल जाते हैं वहीं अस्पताल वालों का अपना धंधा निकल पड़ता है उन्हें भी डिलीवरी पर 10000 तक का फायदा हो जाता है आशा वर्कर को गांव की गर्भवती महिलाओं को गुमराह कर देती हैं उन्हें तो कुल मिलाकर 20000 की चप्पल लग जाती है बरेली में कुछ समय पहले एक मामला खुला था बहुत से सिटी स्टेशन रोड स्थित एक प्राइवेट हॉस्टल में बकायदा जिले भर की कई आशा वर्कर के साथ डॉक्टर ने मीटिंग की थी मामला खुलने के बाद जांच चल रही है
*पोस्टमार्टम हाउस का निरीक्षण भी किया सीएमओ ने 1 महीने में चालू होने की जताई उम्मीद* सीएमओ रघुवर को निघासन के कुल चार लिए स्थानों का निरीक्षण किया सबसे पहले ढखेरवा रोड स्थित सम्राट हॉस्पिटल पहुंचकर पंजीकरण संबंधित प्रपत्र देखें सब कुछ ठीक मिलने के बाद वह सिंगाही रोड स्थित सूर्या हॉस्पिटल पहुंचे वहां मौजूद स्टाफ पंजीकरण प्रपत्र नहीं दिखा सका इसके बाद वह इंडेन गैस एजेंसी के निकट बिना नाम के चल रहा है क्लीनिक पहुंचे वहां का खुलासा हुआ की सरकारी डॉक्टर बहराइच से आकर प्राइवेट इलाज कर रहे हैं इन तीनों के बाद ही सीमा गुप्ता क्लीनिक पहुंचे थे सीएमओ ने बाद में निर्माणाधीन पोस्टमार्टम हाउस का भी निरीक्षण किया कमरे की टूटी फर्ज एवं होगी झाड़ियों को देखकर उन्होंने नाराजगी जताई सीएमओ ने बताया कि मरम्मत का कार्य चल रहा है इसके शुरू होने में करीब 1 माह का समय लगेगा