कानपुर गीतानगर वार्ड के 4329 परिवारों को 24 घंटे पानी मिलेगा। दरअसल, वार्ड में 40 करोड़ से पाइपलाइनें बिछाई जाएंगी। साथ ही, जोनल पंपिंग स्टेशन भी बनेगा। इसके लिए ठेकेदार ने नापजोख शुरू कराई है। गीतानगर वार्ड के परिवारों को 24 घंटे पानी मिलेगा। दरअसल, वार्ड में 40 करोड़ से पाइपलाइनें बिछाई जाएंगी। साथ ही, जोनल पंपिंग स्टेशन भी बनेगा। इसके लिए ठेकेदार ने नापजोख शुरू कराई है।गीतानगर वार्ड के अंतर्गत गीतानगर, शारदानगर, शिवपुरी से लेकर रोशननगर के घरों में पाइपलाइन के कनेक्शन नहीं हैं। गीतानगर और शारदानगर में पुरानी पाइपलाइनों की वजह से तमाम घरों में गंदे पानी की आपूर्ति होती है, जबकि शिवपुरी और रोशननगर में पाइपलाइन ही नहीं है। इसके मद्देनजर जल निगम ने हर घर नल से जल योजना के तहत गीतानगर वार्ड में 24 घंटे पानी की आपूर्ति करने की योजना बनाई है।ये काम भी होंगे40 करोड़ की इस परियोजना में एक किलोमीटर राइजिंग मेन (मुख्य पाइपलाइन),किलोमीटरडिस्ट्रीब्यूशनलाइन,गीतानगर रामलीला मैदान पार्क में जोनल पंपिंग स्टेशन (जेडपीएस), डेढ़ लाख लीटर क्षमता की पानी की टंकी (ओवरहेड टैंक), पांच लाख लीटर क्षमता का सीडब्ल्यूआर (भूमिगत जलाशय), एक पंप हाउस, जेडपीएस के चारों तरफ बाउंड्री बनेगी।शासन से स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण का ठेका लखनऊ की कंस्ट्रक्शन कंपनी यूनिवर्सल एमईपी प्रोजेक्ट्सप्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। सोमवार को जल निगम के सहायक अभियंता राहुल तिवारी, अवर अभियंता अनुराग सिंह और कंपनी के अन्य प्रतिनिधियों ने निर्माण स्थल में नापजोख कराई। कंपनी को इसी माह निर्माण शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। निर्माण अवधि 18 माह है। जल निगम के अभियंताओं ने बताया कि इस वार्ड में बिछी जो पाइपलाइनें क्षतिग्रस्त हैं,उन्हेंबदला जाएगा। जिन मोहल्लों में पाइपलाइन नहीं बिछी है, वहां पाइपलाइन बिछाई जाएगी मुख्य पाइपलाइन बिछेगी डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन बिछेगी -जेएनएनयूआरएम परियोजना में 27 करोड़ बहाए, शहरवासियों का सपना भी बहाइससे पहले जल निगम ने 2008 से 2013 तक जेएनएनयूआरएम परियोजना के डिस्टि्रक-1 और 2 में 827 करोड़ रुपये पानी में बहा दिए। गंगा बैराज में 20-20 करोड़ लीटर क्षमता के दो जल शोधन संयंत्रों से लेकर शहरभर में 72 जोनल पंपिंग स्टेशन बनाए। 16 किलोमीटर मुख्य पाइपलाइन और 400 किलोमीटर से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूशन लाइन बिछाते समय शहरवासियों को पर्याप्त पानी आपूर्ति का सपना दिखाया था, जो टूट गया। अधिकारियों, सफेदपोशों और ठेकेदारों की मिलीभगत से परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। अभी भी महीने में एक-दो स्थानों में भ्रष्टाचार के फव्वारे फूटते रहते हैं।