उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती में ओबीसी आरक्षण को लेकर बढ़ा विवाद, विरोध में उतरे अभ्यर्थी

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा डिग्री कॉलेजों नें असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर की जा रही भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को लेकर मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दरअसल विज्ञापन संख्या 47 के अंतर्गत करीब 1652 पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया में सामान्य वर्ग से ओबीसी की कटऑफ लिस्ट अधिक है। ऐसे में आरक्षण प्रक्रिया का ढंग से पालन न करने का आरोप लगाकर अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया।

पहले राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष कौशलेंद्र सिंह पटेल ने जवाब तलब किया। अब लोकसभा सचिवालय की ओबीसी के कल्याण से संबंधित समिति के चेयरमैन गणोश सिंह यादव ने भी आरक्षण प्रक्रिया का पालन किस तरह से किया गया, इस पर जवाब मांगा है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।

उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव श्रवण कुमार सिंह की ओर से उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को पत्र भेजकर शिक्षकों की नियुक्ति में लागू की गई आरक्षण की प्रक्रिया का बिंदुवार ब्योरा भेजने के निर्देश दिए हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को 27 फीसद आरक्षण देने की व्यवस्था है। वहीं एससी श्रेणी में 21 प्रतिशत और एसटी श्रेणी के अभ्यर्थियों को दो प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।

ओबीसी, एससी व एसटी श्रेणी का कोई भी अभ्यर्थी यदि अपनी योग्यता के अनुसार सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के साथ खुली प्रतियोगिता में चयनित होता है तो उसे आरक्षित रिक्तियों के प्रति समायोजित नहीं किया जाएगा। उसे अनारक्षित श्रेणी की रिक्तियों के प्रति समायोजित किया जाएगा भले ही उसने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अनुमन्य किसी सुविधा या छूट जैस उम्र सीमा में छूट आदि का लाभ उठाया हो। फिलहाल उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को अब लोकसभा सचिवालय की पिछड़ा वर्गो के कल्याण से संबंधित समिति को जवाब देना होगा।

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