अकेले ही खोदा आठ बीघे का तालाब, जज्बे और जुनून की मिसाल बुंदेलखंड के ‘मांझी’ हैं संत कृष्णानंद

हमीरपुर, प्यास से दम तोड़ रहे जानवरों, पशु, पक्षियों और एक-एक बाल्टी पानी के लिए भटक रहे ग्रामीणों को देखकर पीड़ा हुई तो एक संत ने पानी की स्थायी व्यवस्था करने का संकल्प लिया। इंसानी जज्बा और जुनून क्या कर सकता है, इसकी मिसाल पेश करते हुए न सिर्फ आठ बीघे का कलारन दाई तालाब खोद दिया बल्कि बारिश की बंूदे भी सहेज लीं। चार साल के इस अथक प्रयास के लिए उन्हें विधान परिषद में सम्मानित किया जाएगा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा के ट्वीट के बाद कांग्रेस नेता और विधानपरिषद सदस्य दीपक सिंह ने जुलाई माह में सिफारिश की थी।ये संत हैं बुंदेलखंड के ‘मांझी’ के रूप में विख्यात संत कृष्णानंद। सुमेरपुर ब्लॉक से 20 किमी दूर पचखुरा महान गांव में कल्लू सिंह के परिवार में सन् 1964 में जन्मे कृष्णानंद इंटरमीडिएट के बाद 18 वर्ष की उम्र में हरिद्वार जाकर स्वामी परमानंद जी महाराज के शिष्य बन गए। वहां से बुलंदशहर की खुर्जा तहसील आए और जहांगीरपुर के ग्राम भाईपुर में परमानंद शिक्षण संस्थान की नींव रखी। 2014 में पैतृक गांव वापस आए और गांव बाहर बने रामजानकी मंदिर को ठिकाना बनाया। यहीं दो सौ वर्ष पुराना कलारन दाई तालाब है।

तकरीबन आठ बीघे में फैला यह तालाब सिल्ट से अटा हुआ था। इसे जीवन देने के लिए उन्होंने फावड़ा उठाया और वर्ष 2015 से खोदाई शुरू की। चार साल में सात फीट गहरी खोदाई कर तीन हजार से ज्यादा ट्राली मिïट्टी निकाली और रामजानकी मंदिर के पीछे जमा किया ताकि जर्जर हो चुके मंदिर की दीवार सधी रहे। मेहनत के पसीने में बारिश की बूंदें मिली और इस समय तालाब लबालब भरा है।

सम्मान के लिए ब्योरा तलब

एमएलसी दीपक सिंह ने विधान परिषद सचिवालय संसदीय अनुभाग संसदीय कार्य अनुभाग-2 को नियम-59 के तहत संत को सम्मानित करने की सिफारिश की थी। संस्कृति अनुभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने प्रमुख सचिव ग्राम विकास विभाग एवं प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग को पत्र भेजकर कृष्णानंद का ब्योरा तलब किया है। 30 नवंबर को मिले पत्र के बाद वन संरक्षक चित्रकूट धाम ने प्रभागीय वनाधिकारी हमीरपुर के माध्यम से तालाब की फोटो और कृष्णानंद की जानकारी जुटा ली है। जल्द ही सम्मान की तिथि तय की जाएगी।

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