जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत तालाब की खुदाई, कुओं की खुदाई,सड़क निर्माण, भूमि समतलीकरण, पौधारोपण, सरकारी विद्यालयों का जीर्णाद्धार, जलस्रोतों को पुर्नजीवित करने के कार्यों का ब्यौरा डिजिटल किया जाएगा। जो भी कोई कार्य मनरेगा श्रमिकों द्वारा कराया जाएगा उसे एक यूनिट मनरेगा संपत्ति माना जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि पंचायती राज विभाग व इसरो के बीच हुए करार के बाद इसरो के रिमोट सेंङ्क्षसग सेंटर से मनरेगा परिसंपत्तियों की टैगिंग की जाएगी। इससे यह स्पष्ट होगा कि कौन सा कार्य मनरेगा के तहत हुआ है। इसमें होने वाले परिवर्तन का भी डिजिटल डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। इस तकनीक के माध्यम से मनरेगा में एक ही काम को बार-बार होना दिखाकर राजस्व की हेराफेरी पर भी लगाम लगेगी।तकनीक का फायदा मनरेगा श्रमिकों को भी मिलेगा और उनके द्वारा किसी परिसंपत्ति पर किए गए कार्य का ब्यौरा भी आनलाइन दर्ज रहेगा।

भुवन पोर्टल पर अपलोड होगा डाटा

रिमोट सेंसिंग तकनीक के माध्यम से टैंगिग के बाद मनरेगा परिसंपत्ति का डाटा भुवन पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसे कहीं से भी आनलाइन देखा जा सकता है।पोर्टल से ही यह जानकारी मिलेगी कि ब्लाक या ग्राम पंचायत स्तर पर कितने कार्य मनरेगा के तहत कराए गए हैं और कितने कार्यों में कितने श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया गया।