मां ने रात-रात भर जागकर मेहनत के धागे से बुना ओम का भविष्य

कानपुर, ‘दुखन लागी है मां तेरी अखियां, मेरे लिए जागी है तू सारी-सारी रतिया..।’ फिल्म ‘राजा और रंक’ के गाने की यह लाइन सात वर्षीय नन्हें ओम के दिल में घर गई। उसने मां के संघर्ष को मुकाम देने के लिए ठान ली। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में कराटे का खेल ही सबसे कम खर्चीला लगा तो उसने इसी में जमकर मेहनत की। आज परिणाम सबके सामने है।

ओम ने 14 दिसंबर को हरियाणा में संपन्न हुई ऑल इंडिया कराटे प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक हासिल कर अपने जुनून और जज्बे को दिखा दिया। बर्रा गांव निवासी ओम के पिता सूरज वर्मा वेल्डिंग का काम करते हैं। यह परिवार चलाने के लिए अपर्याप्त है। ऐसे में बेटे का भविष्य संवारने के लिए मां सीमा देवी रात-रात भर जागकर सिलाई-कढ़ाई करने लगीं। उनकी मेहनत को ओम कभी भूल नहीं पाता है।

मां सीमा ने बताया कि पार्क में बच्चों को खेलता देखकर ओम ने भी कराटे खेलने की इच्छा जाहिर की। कम खर्चीला खेल होने के कारण उसका प्रवेश जरौली स्थित सोतोकान आकांक्षा कराटे ऑफ इंडिया में कराया। कोच राज प्रताप ने तीसरी कक्षा के ओम को प्रशिक्षण दिया। मेहनत से ओम जल्द पारंगत होने लगा।

ओम की उपलब्धियां 

  • 2019 हरियाणा में हुई ऑल इंडिया कराटे मे काता व कुमीते स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2019 ग्रीनपार्क में हुई स्टेट कराटे में कांस्य पदक जीता।
  • इसी वर्ष दक्षिण में हुई स्टेट कराटे प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।
  • ओम ने लगातार बेहतर प्रदर्शन के बदौलत सात से ज्यादा डिस्ट्रिक में पदक जीते।

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