कानपुर, बिधनू के गोपाल नगर में एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर दिया। रात में कमरे के अंदर सो रहे परिवार में पिता-नवजात पुत्री का दम घुट गया, वहीं मां व दो बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां दोनों बच्चे जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रही है। दरअसल, भीषण ठंड से बचने के लिए परिवार बंद कमरे में कोयला जलाकर सो रहा था, माना जा रहा है कि धुआं फैल जाने के बाद दम घुंटने से हादसा हुआ है।
कोरियर कंपनी में करता था काम
40 वर्षीय गोपाल दुबे गोपालनगर में कोरियर फर्म चलाने वाले उमेश गुप्ता उर्फ डब्बू के घर की चौथी मंजिल पर पत्नी प्रीति, 12 वर्षीय बेटे अक्षत, 10 वर्षीय बेटी पलक और तीन दिन पूर्व पैदा हुई दूसरी बेटी के साथ करीब सवा साल से किराये पर रह रहे थे। उमेश ने बताया कि गोपाल उनकी फर्म में ही कोरियर डिलीवरी का काम करते थे और कुछ समय पूर्व उन्होंने साथ मिलकर लोडर भी खरीदा था। गोपाल की पत्नी प्रीति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है इसलिए डिलीवरी के दौरान गोपाल ने 15 दिन की छुïट्टी ले ली थी। मंगलवार रात करीब 11 बजे वह परिवार समेत कमरा बंद कर सोए थे।
दोपहर तक कमरे में बेसुध पड़ा रहा परिवार
दूसरे दिन बुधवार की दोपहर तक परिवार कमरे में बेसुध पड़ा रहा। करीब डेढ़ बजे ट्यूशन टीचर गोपाल नगर निवासी हरिओम पहुंचे तो कमरा बंद देखा। खटखटाने पर भी कोई आवाज नहीं आई तो उन्होंने जोर से धक्का देकर दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देख हैरान रह गए। गोपाल का शव पलंग के पास औंधे मुंह पड़ा था पास ही तसले और जमीन पर जले हुए कोयले थे। उनके पैरों के पास नवजात का शव था। पलंग पर पत्नी व बेटी पलक और पलंग के नीचे बेटा अक्षत बेहोश पड़े थे।
घटना की जानकारी पर जुट गई भीड़
हरिओम ने शोर मचाकर मकान मालिक व बाकी किरायेदारों को सूचना दी। इसके बाद भीड़ जुट गई। मकान मालिक ने आसपास के लोगों की मदद से गोपाल व उनके पूरे परिवार को तुरंत कांशीराम अस्पताल पहुंचाया। जहां गोपाल व नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया। देर शाम हालत गंभीर देख दोनों बच्चों को हैलट अस्पताल रेफर किया गया। इधर प्रीति की हालत में सुधार होने पर रिश्तेदार घर ले आए। बिधनू थाना प्रभारी देवेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि संभवत: अंगीठी में कोयला जलाने से कमरे में धुआं भर गया और दम घुटने से यह हादसा हुआ।
रिश्तेदारों ने जताया घटना पर संदेह
आखिर क्या वजह रही कि कोरियर कर्मी गोपाल दुबे का पूरा परिवार गहरी नींद में सोता रहा और धुआं भरने पर सांस लेने में दिक्कत होने पर भी किसी ने कोई प्रतिरोध तक नहीं किया। यही नहीं गोपाल का शव फर्श पर औंधे मुंह क्यों पड़ा मिला और उनकी पीठ पर स्वेटर पर जले हुए कोयले के टुकड़े क्यों लगे थे। घटना के बाद ऐसे तमाम सवाल खड़े हुए हैं, जिनका जवाब अब तक पुलिस व आसपास रहने वाले लोग भी नहीं दे सके हैं। परिवार वाले और रिश्तेदार भी घटना पर संदेह जता रहे हैं।
परिवार वालों ने कही ये बात
एलएलआर अस्पताल (हैलट) के बाल रोग विभाग में भर्ती दोनों बच्चों पलक व अक्षत का बेहतर इलाज कराने के लिए शुक्लागंज (उन्नाव) से आईं गोपाल की पत्नी प्रीति के भाई विनोद, भाभी रजनी व अन्य रिश्तेदारों ने कहा कि कमरे में जब भी धुआं भरता है या दम घुंटता है तो गहरी से गहरी नींद भी टूट जाती है। प्रीति मानसिक रूप से बीमार रहती हैं। हो सकता है कि उनकी नींद नहीं खुल सकी लेकिन दोनों बच्चों अक्षत व पलक और गोपाल की नींद तो खुली होगी। उन्होंने शोर क्यों नहीं मचाया। कमरे के खिड़की दरवाजे क्यों नहीं खोले। यही नहीं वीडियो में देखा कि दीवार के किनारे तसले में कोयला पड़ा था। बगल में ही नवजात का शव पड़ा था और उसके आगे गोपाल का शव औंधे मुंह पड़ा था।
गोपाल ने दिए थे चार लाख रुपये उधार
रजनी ने बताया कि ननदोई गोपाल को उनके पिता के निधन के बाद बंटवारा होने पर लाखों रुपये मिले थे। इसमें से चार लाख रुपये उन्होंने अपने मकान मालिक डब्बू को भी दिए थे। लेकिन वह रकम अब तक वापस नहीं मिल पाई थी।