– राज्यमंत्री ने लिया संज्ञान, फिर से नहर कोठी में लौटेगी रौनक
– समर्पित स्वतंत्रता संग्राम में प्राणाहुति देने वाले जाँबाजों के बलिदान की दांस्ता अवषेश
जिला संवाददाता/शमी घोसी
फतेहपुर। शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा। जी हाँ ऐसी ही एक इमारत को बचाने के लिये बीडा उठाने कि महती आवश्यकता है। जनपद के उत्साही नौजवानों ने जहाँ आज भी बलिपथ पर चलने वालों के साथ किये गये जुल्मों की गाथा आज भी इलाकाई बाशिन्दों के द्वारा सुनने को मिलती है और पीढी दर पीढी मिलती रहेगी। इन कारा की दीवारों में, बलिपथिकों की तस्वीरें हैं! हर साल परतदर परत पोत, चाहे जितना धूमिल कर लों यह अमिट, अमर जाँबाजों के हाथों से लिखी लकीरें हैं ऐसी ही एक कोठी की दास्ताँ जिसे बचाने के लिये जबाव देह अधिकारियों से गुहार पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश के प्रशासन में विशेष स्थान रखते हैं। सिंचाई नहरों में देश की वह अमूल्य निधि बहती है। जिसके ऊपर कृषि उत्पादन बड़ी मात्रा में निर्भर करता है। नहरों के संचालन के लिए विशेष कानून बने हुए हैं, जिनके अंतर्गत नहर विभाग अपना कार्य चलाते हैं। इसी तरह जनपद के मलवाँ विकास खण्ड के गांव जलाला में अंग्रेजी हुकूमत की बनी कोठी आज वीरान पड़ी है। जलाला में अंग्रेजी हुकूमत की नहर कोठी पर किसी जमाने में अंग्रेजों के घोड़ों की टापों की आवाज सुनाई देती थी और यह कोठी ए क्लास की कहलाती थी। इंग्लैंड से अंग्रेजी शासन का कोई बड़ा ओहदेदार आता था तो उसे इसी कोठी में विश्राम कराया जाता था। अंग्रेजों के जाने के बाद विभागीय अफसरों की अनदेखी के कारण क्षेत्र की यह ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे खण्डहर में तब्दील होती गई और आज यहां पर केवल पुरानी यादें ही बाकी बची हैं। अंग्रेजी हुकूमत में गांव से 200 मीटर की दूरी पर एनएच 46 के निकट अंग्रेजों ने कोठी का निर्माण किया था ।और इसमें अंग्रेजों का बड़ा ओहदेदार रहता था। यहीं से अंग्रेजी शासन चलाया जाता था। घोड़ों की टाप की आवाज गांव तक जाती थी। इस कोठी पर क्षेत्र के कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व देश की जंग-ए-आजादी में कूदने वाले लोगों को कोड़ों से पीटा ही नहीं गया, बल्कि उन्हें तमाम तरह की यातनाएं दी गईं। राष्ट्रीय राजमार्ग 46 के निकट बनी नहर कोठी रखरखाव के अभाव में अपने अस्तित्व को खो रही है।
अराजकतत्व खिड़की दरवाजे उखाड़ ले गए
शासन द्वारा नहर के किनारे बनी अन्य कोठियों का उपयोग किया जा रहा है। जबकि यह नहर कोठी जनपद की अन्य पुलों पर बनी नहर कोठियों से आज भी बेहतर है। अब यह कोठी अराजकतत्वों का केंद्र बन गयी हैं। निचली गंगा नहर के किनारे अग्रेजी हुकुमत में कोठियां बनायी गयी। क्षेत्रीय ग्रामीण लोगों के अनुसार यहां सेना की भर्ती भी हुआ करती थी। सही तरह से रखरखाव न होने के कारण हालत जर्जर हो चुकी है। अराजकतत्वों ने इसे अपना अड्डा बना रखा है। ब्रिटिश शासनकाल में लाखों से बनवायी गयी नहर विभाग की कोठी उपेक्षा के चलते खंडहर हो गई। असामाजिक तत्व कीमती सामान भी ले गये। अंग्रेजी हुकूमत में मलवाँ विकास खण्ड के जलाला गाँव में लगभग छह एकड भूमि पर नहर कोठी बनवायी गयी थी। इसमें अंग्रेज अफसर ठहरते थे। परिसर में आम, शीशम, जामुन, नीम, सेमर, बबूल, शहतूत, बेल, कटहल, सागौन आदि के पेड़ लगाये थे। देखरेख के अभाव में बीस वर्षो से कोठी का यह भवन बदहाली का शिकार है। आलम यह है कि मरम्मत व देखरेख के अभाव में भवन की हालत जर्जर हो गयी है। दीवारों व छतों पर दरारें पड़ गयी है। अराजक तत्व भवन में लगे कीमती खिड़कियां व दरवाजे उखाड़कर घरों को ले गये है। वर्तमान समय में इस कोठी में रहने के लिये नहर विभाग के बेलदारों के लिये सात कमरे, तार घर, जेई, सिंचाई, अमीन, अधिशासी, जिलेदार आवास सहित बीस कमरे हैं। इनमें मात्र कुछ कमरे ही अच्छी हालत में हैं।दूर दूर स्थापित इस कैम्पस मे घोडो के लिए अस्तबल भी था जो आज पूरी तरह गायब है।कुल मिलाकर नहर विभाग की कोठी अपनी बदहाली के आंसू बहा रही है।
राज्यमंत्री ने लिया संज्ञान, फिर से रौनक होगी कोठी
शुक्रवार को प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री जयकुमार सिंह जैकी ने उक्त नहर कोठी की गौरवगाथा को लगातार ग्राम्य दर्पण सोशल मीडिया के जरिए लगातार उठाने को संज्ञान लेकर 12 बजे पहुंचकर हकीकत से रूबरू हुए। मौके पर प्रशासनिक अमले मलवां विकास खण्ड अधिकारी प्रतिमा वर्मा, देवमई खंड विकास अधिकारी पारुल कटियार, सिंचाई विभाग के अधिकारियों, राजस्व टीम को बुलाकर कोठी की जमीन को पैमाइश कराकर इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के दिशा निर्देश दिए। कारागार राज्यमंत्री ने नहर कोठी के जीर्णोद्धार के लिए निर्माण कार्य के समय गुणवत्ता व कोठी का अस्तित्व बचाने पर जोर देते हुए नोडल अधिकारी व सिंचाई विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। ग्रामीणों द्वारा दी गई जानकारी पर अराजकतत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिये। कहा कि धरोहर अंग्रेजों की समय की है। जो इन दिनों वीरान है। नहर कोठी में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों के बैठने का उचित स्थान है। नहर कोठी में चारों तरफ बाउंड्री वाल बनाकर संरक्षित करने की एक पहल राज्यमंत्री द्वारा की गई है। इस मौके पर ग्राम प्रधान रमेश कुमार, इकबाल, सुरेश सिंह गौर, राम शकुन पटेल सिंचाई विभाग, लोकेंद्र पटेल युवा मोर्चा मंडल महामंत्री भाजपा, गलाथा ग्राम प्रधान रघुवंश यादव, के साथ अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।