नई दिल्ली, सूबे की प्रतिष्ठित नई दिल्ली सीट पर हमेशा से दिलचस्प मुकाबले होते रहे हैं। यह सीट पिछले पांच बार से दिल्ली को मुख्यमंत्री देती रही है। इसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित तीन बार लगातार मुख्यमंत्री रही थीं, वहीं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार दो बार यहां से जीतकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। पिछले पांच विधानसभा चुनावों से भाजपा को इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं मिल सका है। हालांकि, उससे पहले पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद यहां से एक बार भाजपा विधायक रहे हैं।
विधानसभा के गठन के बाद से ही लुटियंस जोन का यह क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण व चर्चित रहा है। वर्ष 2008 के परिसीमन से पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम गोल मार्केट था। वर्ष 1993 में दिल्ली में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने क्रिकेट से राजनेता बने कीर्ति आजाद को यहां से चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बनाया था। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बृजमोहन को पराजित किया था। इसके बाद से भाजपा को यहां से एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है।
वर्ष 1998 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया। उन्होंने न केवल भाजपा के कीर्ति आजाद को शिकस्त दी, बल्कि मुख्यमंत्री बनकर सूबे की राजनीति में 15 वर्षों तक अपना वर्चस्व कायम रखा। वर्ष 1998 के बाद से भाजपा इस सीट पर अपना प्रत्याशी बदलती रही है। वर्ष 2003 में यहां से भाजपा ने कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें भी शीला दीक्षित के सामने हार का सामना करना पड़ा।
परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का नाम नई दिल्ली कर दिया गया, जिसके बाद वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शीला के खिलाफ विजय जौली को चुनावी दंगल में उतारा, लेकिन भाजपा को यहां से हार मिली। शीला दीक्षित चुनाव जीतकर तीसरी बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। नई दिल्ली सीट पर सबसे दिलचस्प मुकाबला वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में हुआ। अन्ना आंदोलन के बाद बनी आप के मुखिया अर¨वद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरकर उन्हें 25,864 मतों से पराजित कर दिया।
पिछले विधानसभा चुनाव यानी वर्ष 2015 में इस सीट से एक बार फिर अर¨वद केजरीवाल ने चुनाव लड़ा। उनके सामने कांग्रेस ने इस बार पूर्व मंत्री प्रो. किरण वालिया को चुनाव मैदान में उतारा। वहीं, भाजपा ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष नूपुर शर्मा को टिकट दिया। इस मुकाबले में भी अरविंद केजरीवाल विजयी रहे। उन्होंने 31 हजार से भी अधिक मतों से नूपुर शर्मा को पराजित किया।