चीन और अमेरिका के बाद इंडिया में ऐमजॉन, गूगल की टक्कर

नई दिल्ली। निया के बड़े ई-कॉमर्स मार्केट्स में शामिल भारत पर गूगल और ऐमजॉन का फोकस बढ़ गया है, इन कंपनियों को एक और बड़े मार्केट चीन में कामयाबी नहीं मिली है। वहीं उनके होम मार्केट अमेरिका में अब बिजनस बढ़ाने की ज्यादा संभावना नहीं है, लिहाजा ये कंपनियां भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, राहुल सचितानंद और जी सीतारमण की रिपोर्ट दुनिया के बड़े ई-कॉमर्स मार्केट्स में शामिल भारत पर गूगल और ऐमजॉन का फोकस बढ़ गया है। इन कंपनियों को एक और बड़े मार्केट चीन में कामयाबी नहीं मिली है। गूगल को 2010 में चीन के मार्केट से निकलना पड़ा था और ऐमजॉन की चीन के मार्केट में हिस्सेदारी 1 पर्सेंट से भी कम है। चीन की कड़ी पॉलिसीज और चीनी कंपनियों के अधिक ताकतवर होने के कारण वहां विदेशी कंपनियों के लिए बिजनस करना आसान नहीं है। गूगल और ऐमजॉन के होम मार्केट अमेरिका में अब बिजनस बढ़ाने की ज्यादा संभावना नहीं है और इसी वजह से ये कंपनियां भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं।
इंटरनेट ऐंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार जून तक भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़कर लगभग 50 करोड़ हो जाएगी। नील्सन का अनुमान है कि देश में 2030 तक एक अरब से अधिक फोन बेचे जाएंगे। इस वजह से भारत में इन कंपनियों के लिए काफी संभावनाएं मौजूद हैं। ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के फाउंडर और डीन बाला बालचंद्रन ने कहा, ‘भारत में बड़ी संख्या में कंज्यूमर्स मौजूद हैं और इसे कोई अनदेखा नहीं कर सकता।’
भारत में दिलचस्पी बढ़ने के साथ ही इनवेस्टमेंट में भी वृद्धि हो रही है। अमेरिका के डार्टमाउथ कॉलेज में टक स्कूल ऑफ बिजनस के प्रफेसर, विजय गोविंदराजन ने बताया, ‘इन दोनों कंपनियों को चीन में सफलता नहीं मिली है। इस वजह से ये भारत पर काफी ध्यान दे रही हैं। ये कंपनियां कंज्यूमर्स और उनके व्यवहारों को समझती हैं। कस्टमर्स को संतुष्ट करने के लिए ये नए बिजनेस मॉडल इनोवेट करेंगी।’
गूगल और ऐमजॉन की भारतीय मार्केट के लिए स्ट्रैटेजी अलग है, लेकिन इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स और एनालिस्ट्स का कहना है कि इन दोनों का लक्ष्य एक ही है। ये लंबी अवधि में बड़ी संख्या में भारतीय कंज्यूमर्स को हासिल करना चाहती हैं और इसके लिए ये इन कंज्यूमर्स को अपने प्रॉडक्ट्स, टेक्नॉलजी और प्लैटफॉर्म्स की ओर खींचेंगी। हालांकि, इन कंपनियों को भारत में चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इस वर्ष फरवरी में कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने इंटरनेट सर्च में अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने के लिए गूगल पर जुर्माना लगाया था। ऐमजॉन को भी देश में कुछ समस्याओं से जूझना पड़ा है।
गूगल ने 2004 में रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट सेंटर के साथ भारत में अपनी शुरुआत की थी। गूगल के प्रॉडक्ट्स में पिक्सल स्मार्टफोन, यूट्यूब और मैप शामिल हैं। भारत में पिछले वर्ष इसकी सेल्स लगभग एक अरब डॉलर की रही थी। यह रेलवे मिनिस्ट्री के साथ मिलकर 400 स्टेशनों पर हाई-स्पीड इंटरनेट देने के लिए काम कर रही है। इसने देश में डिजिटल पेमेंट के लिए तेज नाम का प्लैटफॉर्म भी पेश किया है।
ऐमजॉन का भारतीय बिजनस भी तेजी से बढ़ रहा है। यह देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाला मार्केटप्लेस है। ऐमजॉन की शॉपिंग ऐप 2017 में देश में सबसे अधिक डाउनलोड की गई ऐप्स में शामिल थी। इसकी प्राइम सर्विस को भी अच्छी सफलता मिली है। प्राइम की वीडियो सर्विस के लिए ऐमजॉन भारतीय कंटेंट में इनवेस्टमेंट कर रही है। गूगल और ऐमजॉन के लिए भारत में संभावनाएं देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीदने वाले वॉलमार्ट की डील पर भी निर्भर करती हैं। एमेजॉन का वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट की संयुक्त कंपनी से सीधा मुकाबला होगा और ऐसी अटकल है कि गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इस डील के बाद 2 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट कर सकती है। हालांकि, अभी गूगल और ऐमजॉन भारत में अपना बिजनस तेजी से बढ़ा रही हैं और इनकी नजरें अगले बड़े मौके पर लगी हैं।
गूगल के वाइस प्रेसिडेंट (इंडिया एंड साउथईस्ट एशिया), राजन आनंदन ने कहा, ‘भारत में ऑनलाइन यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका एक बड़ा कारण मोबाइल है।’ देश में क्षेत्रीय भाषाओं के इंटरनेट यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी के मद्देनजर गूगल ने अपने जीबोर्ड कीबोर्ड को 33 भारतीय भाषाओं में सपॉर्ट देने के लिए डिजाइन किया है। गूगल के पास हिंदी और इंग्लिश में वॉइस सर्च जैसे सॉल्यूशन भी हैं। कंपनी छोटे कारोबारियों को क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन होने में मदद देने वाले प्रॉडक्ट भी बनाती है। ऐमजॉन ने 2013 मे भारत में ई-कॉमर्स बिजनस शुरू किया था। इसने अपने भारतीय बिजनस में 5 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट करने की योजना बनाई है। ऐमजॉन के कंट्री हेड, अमित अग्रवाल ने कहा, ‘हम भारत में लंबी अवधि के लिए हैं। हम लोगों का खरीदारी करने का तरीका और उनकी जीवनशैली को बदलना चाहते हैं।’ ऐमजॉन के पास में अभी लगभग तीन लाख सेलर्स हैं और इसके प्लैटफॉर्म पर करीब 17 करोड़ प्रॉडक्ट्स बेचे जाते हैं।
ये दोनों कंपनियां स्टार्टअप्स पर भी ध्यान दे रही हैं। इससे इन्हें कंज्यूमर्स को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है। ये कंपनियां स्टार्टअप्स में इनवेस्टमेंट भी कर रही हैं। ऑनलाइन फाइनैंशल सर्विसेज कंपनी बैंकबाजार को जुलाई 2015 में ऐमजॉन और अन्य इनवेस्टर्स से 5.91 करोड़ डॉलर का फंड मिला था। बैंकबाजार के को-फाउंडर और सीईओ, अादिल शेट्टी ने बताया कि एमेजॉन के कारण स्टार्टअप्स की विदेशी मार्केट्स और कस्टमर्स को लेकर समझ भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ऐमजॉन के बैंकबाजार के बोर्ड में शामिल होने के बाद उन्हें कस्टमर्स की संख्या बढ़ाने में भी मदद मिली है।

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