कानपुर, कहीं पर जल्दी पहुंचना है और आप शहर के भीषण जाम में फंस जाते हैं तो निश्चत ही कल्पना करते हैं कि काश उड़कर जाम से निकल जाऊं। आइआइटी कानपुर आपकी इसी कल्पना को उड़ान देने की तैयारी कर रहा है। आपको कहीं जाना है तो बस एक कॉल करते ही एयर टैक्सी छत पर हाजिर होगी और गंतव्य तक पहुंचाएगी। शहर व आसपास के क्षेत्रों में एयर टैक्सी को हमसफर बनाने के लिए आइआइटी का रिसर्च पार्क ‘वी टोल एविएशन’ कंपनी संग मिलकर तकनीक विकसित कर रहा है और अगले साल मार्च में प्रोटोटाइप उड़ाने की तैयारी है।
ड्रोन के बाद 800 किलो की एयर टैक्सी बनाने की तैयारी
शुरुआती चरण में पांच किलो व 25 किलो के ड्रोन बना लिए गए हैं। इनका इस्तेमाल सर्विलांस के अलावा प्राकृतिक आपदा के दौरान दवाएं व खाने के पैकेट पहुंचाने में किया जा सकता है। आइआइटी की प्रयोगशाला में ये परीक्षण के दौर में हैं। अब ड्रोन बनाने के बाद एविएशन कंपनी आइआइटी की तकनीकी मदद से 800 किलो की एयर टैक्सी बना रही है।
रिसर्च पार्क के प्रमुख प्रो.अविनाश अग्रवाल ने बताया कि मार्च 2021 में टैक्सी प्रोटोटाइप को उड़ाने की योजना है। इसकी खासियत यह होगी कि इसे छत पर उतारा जा सकेगा। इसके लिए रन-वे की जरूरत नहीं होगी। यह हेलीकॉप्टर की तरह ऊंचाई प्राप्त करेगी और ऊपर पहुंचकर एयरोप्लेन की तरह उडऩे लगेगी। लैंडिंग के समय भी हेलीकॉप्टर की तरह उतरेगी। इसके इंजन, सेंसर व डिवाइस पर काम काफी काम किया जा चुका है।
उत्पाद की डिजाइनिंग व परीक्षण के लिए खुले प्रयोगशाला के द्वार
इसे लांच करने के लिए उद्यमियों को उसकी डिजाइनिंग के लिए मुंबई, बेंगलुरू व दिल्ली की प्रयोगशालाओं तक जाने की जरूरत नहीं होगी। मैन्यूफैक्चरिंग व डिजाइनिंग के लिए आइआइटी कानपुर ने लैब के दरवाजे खोल दिए हैं। यहां पर नौ कंपनियों ने अपने सेंटर स्थापित कर दिए हैं। इस वर्ष के अंत तक 30 कंपनियों के यहां टेक्निकल सेंटर खोलने की संभावना है। आइआइटी के रिसर्च पार्क में उन्हें कंपनी का सेंटर खोलने की सहूलियत देने के साथ संस्थान उन्हें रिसर्च लैब की सुविधा देगा।
नौ कंपनियों के साथ किया करार प्रो.अग्रवाल ने बताया कि आइआइटी के रिसर्च पार्क ने एआर थर्मोसेट्स, इंजेक्टोप्लास्ट, लोहिया ग्रुप समेत नौ कंपनियों से करार किया है। यह सभी कंपनियां शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यावरण समेत अन्य क्षेत्रों में नई तकनीक विकसित करेंगी।