गोरखपुर । बेंगलुरु के उमेश गोपीनाथ जाधव (45) पुलवामा के 27 शहीदों के घरों की मिट्टी इकट्ठा कर चुके हैं। अभी 13 शहीदों के घर जाना बाकी है। इस मिट्टी से वह पुलवामा में भारत का नक्शा बनाएंगे।
उमेश गोपीनाथ तय कर चुके हैं 50 हजार किमी की यात्रा
उमेश महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निवासी हैं, पर 16 वर्षों से बेंगलुरु में म्युजिक स्कूल चला रहे हैं। शहीदों के घर की मिट्टी लाने के लिए नौ अप्रैल 2019 से नौ अप्रैल 2020 तक के लिए उन्होंने म्यूजिक स्कूल बंद कर दिया है। वह शनिवार को महराजगंज जिले में शहीद पंकज त्रिपाठी के घर से मिट्टी लेकर लौटने के बाद गोरखपुर में थे। जागरण से बातचीत में उन्होंने अपनी यात्रा और मकसद के बारे में बताया।
एक घटना ने बदल दी उमेश की दिनचर्या
उमेश गत 11 फरवरी को अजमेर में अपनी टीम के साथ एक म्युजिक शो करने गए थे। 14 फरवरी को कार्यक्रम समाप्त हुआ। उसी दिन खबर आई कि पुलवामा में 40 जवान मार दिए गए। विचार किया कि मरने वालों में यदि कोई अपने परिवार से होता तो क्या स्थिति होती। एक माह बाद उन्होंने पत्नी व बच्चों को तैयार किया कि वह एक वर्ष के लिए परिवार से दूर रहेंगे।
अपना स्कूल बंद कर मिशन पर निकले
म्युजिक स्कूल बंद कर गत नौ अप्रैल से अपने मिशन पर निकल पड़े। उमेश कहते हैं कि उन्होंने पुलवामा के 27 शहीदों के अलावा कारगिल के चार, बीएसएफ के दो व पुलिस के सात शहीदों के घर की भी मिट्टी एकत्रित की है। वह अब तक 19 प्रदेशों में 50 हजार किलोमीटर तक की यात्रा कर चुके हैं।
गर्व से भर उठते हैं परिजन
उमेश कहते हैं कि महराजगंज जिले में जब वह शहीद पंकज के परिजन से मिले तो उनके पिता गर्व से भर उठे। मां की आंखें भर आईं। घर की मिट्टी दी और बेटे को याद कर रोने लगीं। गत 22 दिसंबर को वह पंजाब के कुलविंदर सिंह के घर पहुंचे तो उनके मां-पिता भी सिसकने लगे थे।