मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को अनिवार्य छुट्‌टी पर भेजा गया, वीडियो ब्लॉग में राहुल गांधी की आलोचना की थी

मुंबई. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संबंध में फेसबुक पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने वाले मुंबई यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया गया है। प्रोफेसर योगेश सुमन ने पिछले साल दिसंबर में एक फेसबुक पोस्ट डाला था। मामले में यूनिवर्सिटी का कहना है कि प्रोफेसर के खिलाफ कई शिकायतें थीं, उनके आधार पर कार्रवाई की गई है। भाजपा ने इस कार्रवाई को असहिष्णुता कहा है।

ब्लॉग पोस्ट कर लिखे थे आपत्तिजनक शब्द

राहुल गांधी ने वी. सावरकर को लेकर बयान दिया, जिस पर उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसके बाद प्रोफेसर ने राहुल को लेकर वीडियो ब्लॉग लिखा था, जिसमें कुछ शब्दों को आपत्तिजनक माना गया था। इसके बाद उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है। मुंबई यूनिवर्सिटी में अकेडमी ऑफ थिएटर आर्ट्स के निदेशक सोमन ने फेसबुक और ट्विटर पर 14 दिसंबर को 51 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा है कि आप वास्तव में सावरकर नहीं हो, सच तो यह है कि आप सच्चे गांधी भी नहीं हो, आपके पास कोई वैल्यू नहीं है। यह कहते हुए गांधी के पप्पूगिरी का विरोध करता हूं।

कई मामलों में कार्रवाई हुई है : यूनिवर्सिटी

यूनिवर्सिटी का कहना है कि प्रोफेसर पर सिर्फ पोस्ट के लिए नहीं, दूसरी शिकायतों के चलते भी कार्रवाई की गई है। बताया गया है कि एक कमेटी का गठन किया गया था जिसके फैसले पर प्रोफेसर को छुट्टी पर भेजा गया है। वहीं, इसको लेकर कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई, वामपंथी छात्र संगठन एआईएसएफ और छात्र भारती ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन किया था।

छात्रों को भड़का कर आंदोलन के लिए प्रेरित किया जा रहा: भाजपा

मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने इस कार्रवाई की निंदा की और इसे असहिष्णुतापूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि एनएसयूआइ और एआइएसएफ के सदस्यों ने प्रोफेसर को धमकियां दीं, क्या यह असहिष्णुता नहीं है? कुछ दिनों से शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों के छात्रों को भड़काकर उन्हें आंदोलन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। क्या यह असहिष्णुता नहीं है?

प्रोफेसर भाजपा की शह पर कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे: कांग्रेस

शेलार के बयान के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। प्रोफेसर भाजपा की शह पर राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं। संविधान की रक्षा के लिए एनएसयूआइ ने जो कदम उठाया, हमें उस पर गर्व है।

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