अयोध्या, बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मोहम्मद इकबाल अंसारी ने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या शहर में उचित स्थान पर मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया है, लेकिन सरकार की मंशा शहर से बाहर जमीन देने की है, जो ठीक नहीं है। मैं चाहता हूं कि अयोध्या शहर में उचित स्थान पर सरकार जमीन दे। इसी जमीन पर आवश्यकतानुसार मस्जिद का निर्माण किया जाए। शेष जमीन पर भव्य महिला चिकित्सालय का निर्माण कराया जाए।
इकबाल के अनुसार, मस्जिद के लिए मिलने वाली भूमि पर सभी धर्मों के कल्याणार्थ सुविधाएं विकसित की जायं। उन्होंने कहा अयोध्या में हिंदू, मुस्लिम, सिख आदि धर्मों के लोग मिल-जुल कर रहते हैं। यह सर्वधर्म समभाव की नगरी है। यहां से दुनिया के लोगों को सबक सीखना चाहिए। यह नगरी जितनी हिंदुओं की है, उतनी ही मुसलमानों की है। वे झारखंड के भाकपा नेता कृष्णदेव सिंह, शिवशंकर प्रसाद, भाकपा के जिला अयोध्या के सहायक सचिव संपूर्णानंद बागी व खेत मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष अखिलेश चतुर्वेदी से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद की परिस्थितियों पर वार्ता कर रहे थे।
मस्जिद के लिए अलग जगह : सुप्रीम कोर्ट का फैसला
दरअसल, बीते साल नौ नवंबर 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़े फैसला सुनाया था। पांच जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना। साथ ही यह फैसला सुनाया था कि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए अलग जगह दी जाएगी।
इन पांच जजों की सर्वसम्मति से आया था फैसला
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर।