‘मुझे मर जाने की इजाजत दे दो’-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर कहा

कानपुर,  सिस्टम की नाकामी इंसान को किस हद तक तोड़ सकती है, इसकी बानगी बर्रा-दो के सेक्टर चार में रहने वाले श्रेयस द्विवेदी हैं। इलाके में कूड़ा, गंदगी और जानवरों के शव से आती दुर्गंध से परेशान होकर उन्होंने न जाने कितनी बार नगर निगम और सीएमओ को पत्र लिखा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अब उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नगर निगम परिसर में जान देने की अनुमति मांगी है। इलाके के 88 लोगों ने भी इस शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

घर के पास बजबजा रहा नाला

घर के बगल से गुजरता खुला नाला, सीवर के पानी से बजबजाता कचरा। बर्रा दो के सेक्टर चार स्थित भोलेश्वर मंदिर के पास रह रहे लोगों की यही नियति बन गई है। दुर्गंध ऐसी कि खाना खाते वक्त बच्चे उल्टियां करने लगते हैं। बुजुर्ग मां-बाप बीमार हो रहे हैं। श्रेयस बताते हैं कि घर के ठीक बगल में गंदगी का ढेर लगा है। 74 वर्षीय पिता और मां की तबीयत खराब रहती है। इसी वजह से घर को छोड़कर छिबरामऊ में रह रहे हैं। यही हाल इलाके के अन्य परिवारों का है।

पलायन करने को मजबूर लोग

गंदगी की वजह से इलाके में रहने वाले अन्य परिवार पलायन कर रहे हैं। क्षेत्रीय निवासी निशा पांडेय कहती हैं कि सारी जमा पंूजी लगाकर घर बनवाया। गंदगी की वजह से एक दिन भी काटना मुश्किल है, जिसके पास विकल्प हैं वह पलायन कर गए, लेकिन हम कहां जाएं? चेतावनी भरे लहजे में कहती हैं, ‘अगर नगर निगम ने गंदगी का खात्मा नहीं किया तो जान दे दूंगी, क्योंकि इस गंदगी में जीने से अच्छा मर जाना है’।

घर में कैद रहती हैं युवतियां

गंदगी के अलावा यह इलाका नशेडिय़ों का अड््डा है। इस वजह से युवतियों को घर में ही कैद रहना पड़ता है। कुछ कोचिंग के लिए घर से निकलती भी हैं तो सिर झुकाकर। विधि छात्रा प्रतीक्षा कटियार कहती हैं कि छींटाकशी और अभद्रता आम बात है। छत पर खड़े होना भी दुश्वार है।

श्रेयस को मिल रही धमकियां

मोहल्ले में व्याप्त समस्या के लिए लड़ाई लड़ रहे श्रेयस को आए दिन धमकियां मिलती हैं। वे बताते हैं कि इलाके में रहने वाले अधिकांश लोग बुजुर्ग हैं। नौकरी पेशा लोगों के घरों में सिर्फ महिलाएं हैं। ऐसे में हर स्तर पर मुझे ही लड़ाई लडऩी पड़ रही है। श्रेयस बताते हैं कि दो माह पहले यहां कूड़ाघर बनाया जा रहा था। लोगों ने हंगामा किया तो बात विधायक महेश त्रिवेदी तक पहुंची। उन्होंने कूड़ाघर न बनने देने का वादा किया। इसके बाद कूड़ा गिरना बंद हो गया। कुछ ट्रक गंदगी उठाई भी गई, लेकिन हालात नहीं सुधरे।

जनता की पीड़ा

  • मुख्यमंत्री पोर्टल से नगर निगम तक हर जगह शिकायत की, न गंदगी हटी न ही नाला ढका गया। विधायक न होते तो यहां कूड़ाघर बन गया होता।-श्रीओम पाठक
  • इतनी गंदगी है कि सांस नहीं ली जा सकती। जानवरों के सड़ते शवों से दुर्गंध उठती है। नगर निगम के अफसर मनमानी पर उतारू हैं। -राजकुमार गुप्ता
  • नगर निगम यहां और बड़ा कूड़ाघर बनाना चाहता है। इसलिए हम लोगों ने चंदाकर 60-70 हजार रुपये से पंप हाउस की बाउंड्री बनवाई है। -सतीश कुमार अरोड़ा
  • नगर निगम से लेकर सारे वरिष्ठ अफसरों के दरवाजे खटखटाए जा चुके हैं। यहां अधिकांश रिटायर्ड लोग हैं। कहां तक लड़ाई लड़ें। -एसएन सचान
  • कुछ समय पहले मोहल्ले में भागवत कथा थी, सुनने वाले नाक पर कपड़ा बांध कर आते थे। हमारे घर लोगों ने आना जाना बंद कर दिया है। -विमला दीक्षित
  • सीवर लाइन जबसे लीक हुई है, कोई ठीक करने नहीं आया। हम भी टैक्स देते हैं, यहां के नागरिक हैं। आखिर हमें भी तो जीने का अधिकार है।-मधु अरोड़ा

क्या कहते हैं जिम्मेदार

यह प्रकरण मेरे संज्ञान में है, विधायक ने कहा था कि कूड़ाघर के लिए अन्यत्र स्थान भी तलाश करने में सहयोग करेंगे। मोहल्ले में जहां कूड़ाघर था, वहां सफाई कराई जाएगी।

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