लखनऊ, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उनके सहयोगी संगठनों के सक्रिय सदस्य उत्तर प्रदेश में भी प्रवर्तन निदेशालय (ED) के खास निशाने पर आ गए हैं। एक टीम को कुछ संदिग्धों के बैंक खातों का ब्योरा जुटाने का जिम्मा भी सौंपा गया है। पीएफआइ के कई सदस्यों व उनके करीबियों के बैंक खातों का ब्योरा भी जुटाना जा रहा है। जल्द उनमें हुए लेनदेन की सिलसिलेवार छानबीन की तैयारी है। ईडी के साथ पुलिस की जांच एजेंसियों की भी सक्रियता बढ़ गई है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के दौरान पीएफआइ के बैंक खातों में हुए लेनदेन को लेकर ईडी की रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश में सक्रिय रहे पीएफआइ के पदाधिकारियों के बारे में नए सिरे से छानबीन शुरू की गई है। बता दें कि सीएए के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के मामले में प्रदेश में पीएफआइ के 25 सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। लखनऊ से पीएफआइ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद को भी गिरफ्तार किया गया था। केंद्र सरकार से पीएफआइ को प्रतिबंधित किए जाने की सिफारिश भी की गई थी।
उल्लेखनीय है कि खुफिया रिपोर्ट में प्रतिबंधित संगठन सिमी के कई सक्रिय पदाधिकारियों व सदस्यों के पीएफआइ से जुड़े होने की बात सामने आई थी। पीएफआइ की जिला कार्य समितियां कई शहरों में पैर फैला चुकी थीं। खासकर उन बैंक खातों की पड़ताल की जा रही है, जिनमें दिसंबर माह की कुछ खास तारीखों में रकम जमा कराई गई। बैंकों में लगे सीसीटीवी कैमरों से रकम जमा करवाने व खातों से रकम निकालने वालों की पहचान कराने का प्रयास भी किया जा रहा है।
हिंसक विरोध के पीछे पीएफआइ की सक्रियता के मिले हैं सबूत
सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे पीएफआइ की साजिश के सबूत मिले हैं। ईडी ने सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान पीएफआइ और उसके सहयोगी संगठनों के बैंक खातों में लेन-देन का विस्तृत ब्यौरा गृहमंत्रालय को सौंपा है। इससे साफ पता चलता है कि इस दौरान पीएफआइ के खाते में बड़ी मात्रा में रकम जमा किये गए और निकाले गए, जो पहले के पैटर्न से बिल्कुल अलग है।
ईडी ने दो भागों में अपनी रिपोर्ट गृहमंत्रालय को सौंपी है। एक भाग केवल चार दिसंबर, जिस दिन नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश से हुआ था, से लेकर छह जनवरी के बीच पीएफआइ व उसके सहयोगी संगठनों के खातों में हुए लेन-देन को लेकर है। वहीं दूसरे भाग में पिछले कई सालों में दौरान पीएफआइ व उसके सहयोगी संगठनों व व्यक्तियों के खातों में हुए लेन-देन का ब्यौरा है। पुरानी लेन-देन के सिलसिले में पीएफआइ के खाते से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को कुल 77 लाख रुपये, इंदिरा जयसिंह को चार लाख रुपये और दुष्यंत दबे को 11 लाख रुपये दिये जाने के साथ-साथ एनआइए द्वारा आरोपित अब्दुल समद को 3.10 लाख रुपये और न्यू जोथी ग्रुप को एक करोड़ 17 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है। इसमें पीएफआइ कश्मीर को भी एक करोड़ 65 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है।