सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पर दलित समाज में खुशी

मुमताज मंसूरी/न्यूज वाणी ब्यूरो
काशीपुर। उत्तराखंड। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। जिसके चलते एससी/एसटी मामलों में बिना जांच के गिरफ्तारी संभव है। जिसकी बाल्मीकि समाज के चैधरी और भाजपा एससी मौर्चा के प्रदेश कार्यकारणी सदस्य विक्की कुमार सौदा ने सराहना करते हुए सभी देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना हुए बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना चाहिए।
विक्की कुमार सौदा ने कहा कि उन्नीसवीं सदी में देश में छूत-अछूत, जाति-पाति, धर्म-मजहब, ऊँच-नीच आदि कुरीतियों का स्थापित साम्राज्य चरम सीमा पर जा पहुंचा। शूद्रों में निम्न व गरीब जातियों को शामिल करके उन्हें अछूत की संज्ञा दी गई और उन्हें नारकीय जीवन जीने को विवश कर दिया गया। अछूतों को तालाबों, कुंओं, मंदिरों, शैक्षणिक संस्थाओं आदि सभी जगहों पर जाने से एकदम वंचित कर दिया गया था। इस कुटिल व मानवता को शर्मसार कर देने वाली परिस्थितियों के बीच दलितों, पिछड़ों और पीड़ितों के मुक्तिदाता और मसीहा बनकर डॉ भीमराव अंबेडकर अवतरित हुए और देश में नासूर बन चुकी छूत-अछूत, जाति-पाति, ऊँच-नीच आदि कुरीतियों के उन्मुलन के लिए अंतिम सांस तक अनूठा और अनुकरणीय संघर्ष किया। संविधान के पूरा होने पर डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि यह लचीला है, पर साथ ही इतना मजबूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों के समय जोड़कर रख सकेगा। विक्की कुमार सौदा ने संविधान रचियता डॉ भीमराव अम्बेडर को नमन करते हुए समाज से उनके बताये रास्ते पर चलने की अपील की।

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