– सभी सिग्नल खराब, नहीं होता सही उपयोग
– इधर-उधर समय गुजारते ट्रैफिक कर्मी
विष्णु सिकरवार, दीपू वर्मा/न्यूज वाणी ब्यूरो
आगरा। धौलपुर यातायात को व्यवस्थित और सुचारू करने के लिए ट्रैफिक नियमों की जानकारी होना आवश्यक है लेकिन जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी न समझें तो आम लोग ट्रैफिक नियमों की पालना कैसे करेंगे। जी हां नेशनल हाइवे संख्या-3 स्थित वाटर वक्र्स चैराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल व बत्तियां वैसे तो कभी-कभार ही जलती हुई नजर आती हैं। वहीं सिग्नलों का सही तरह से उपयोग तक नहीं किया जा रहा है। चैराहे से गुजरने वाले वाहन मनमर्जी क्रॉसिंग कर बिना रोक-टोक के दौड़ रहे हैं। इससे दुर्घटनाएं बढने की संभावना और बढ़ जाती है। यही नहीं आए दिन छोटी-मोटी घटनाएं भी हो रही हैं लेकिन अनदेखी चलते किसी का ध्यान इस ओर नहीं है। चैराहे पर लगे ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी ड्यूटी के नाम पर इधर-उधर खड़े रहते हैं। चैराहे पर यातायात को सुचारू रखने में कोई दिलचस्पी तक नहीं उठाते हैं। यहां तक कि अब इसको मचकुंड चैराहे के नाम से भी जाना जाने लगा है।
मौत का चैराहा
चैराहे पर आए दिन होने वाली घटनाओं को देखते हुए लोग धीरे-धीरे इसे मौत का चैराहा कहने से भी नहीं कतराते। जब से सिग्नल बत्तियां लगी हैं, तब से दुर्घटनाओं में जरूर कमी आई है। लेकिन फिर से स्थिति यथावत दिखाई देने लगी है। लोगों की मानें तो शहर के इसी चैराहे पर अब तक सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं। कुछ लोग चोटिल हुए तो कुछेक ने अपनी जान गंवाई।
संघर्ष समिति की मेहनत लाई थी रंग
चैराहे पर सिग्नल बत्तियां और अंडरपास के लिए वर्षों से संघर्ष समिति कोशिश कर रही थी। जिस पर नगर परिषद के सहयोग से सिग्नल बत्तियां लगाई गईं। अब अंडरपास की आस अधूरी रह गई है। गौरतलब है कि इस चैराहे पर वाहनों की सबसे ज्यादा आवाजाही रहती है। परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे वहां हो रही दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।