न्यूज वाणी ब्यूरो फतेहपुर। महीनो से जिस त्यौहार के लिए घर-घर तैयारियां की जा रही थीं। वह शुभघड़ी सोमवार की शाम अन्ततः आ ही गई। जिले के 2442 स्थानों पर होलिका दहन पूजा अर्चना के बीच किया गया। होलिका की लकड़ियों में आग लगते ही ऊंची-ऊंची लपटें उठने लगी। लोगों ने जल रही लकडियों में हांथ सेंककर उपस्थित लोगों में एक-दूसरे को गले लगाकर होली की मुबारकबाद पेश की। लोगों ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर भाईचारे का संदेश दिया। होलिका दहन से लेकर रंग खेले जाने तक के लिए चिन्हित स्थानों पर पुलिस के जवान मुस्तैद किये गये हैं। जिले में दस व ग्यारह मार्च को दो दिनों तक दोपहर तीन बजे तक रंग खेला जायेगा।
होलिका दहन के लिए जिले की तीनो तहसीलों में 2442 स्थान चिन्हित किये गये थे। जहां पर पुलिस के जवान जहां मुस्तैद रहे वहीं प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने भी भ्रमण कर शांति व्यवस्था को बनाये रखने के लिए मुस्तैद किये गये जवानों की ड्यूटी के साथ-साथ गतिविधियों का जायजा लिया। जिले में शांम 6 बजकर 22 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 49 मिनट तक होलिका दहन का कार्यक्रम चला। होलिका दहन से पहले होली में अनाज डाला गया। होली के समय खेतों में नया अनाज पक जाता है। लोगों ने होलिका के पास और मंदिरों में दीपक जलाये गयें। दहन के समय परिवार के सदस्यों ने होलिका के परिक्रमा भी की। परिक्रमा के समय चना, मटर, गेहूं, अलसी भी डाला गया। इसके अलावा कपूर भी आग के हवाले किया गया। कपूर डालने के पीछे वातावरण को पवित्रता प्रदान करना है। होलिका दहन को लेकर लोग सुबह ही उठे और स्नान के बाद शिव मंदिर गये। जहां पर भगवान के सामने दीपक भी जलाये। तत्पश्चात लोगो ने ऊंॅ नमः शिवाय मंत्र का जाप भी किया। हांथों के बनाये कण्डे भी होली में डाले गये। होलिका दहन को लेकर जिले भर में उत्साह का वातावरण रहा।
त्यौहार को लेकर देर शाम तक चली खरीददारी
फतेहपुर। होली पर्व को लेकर यू ंतो मुख्यालय सहित जिले भर के कस्बों व गांवों में होली पर्व पर आने वाली सामग्रियों की दुकानें लगभग हफ्ता भर पहले सज गयी थीं। लोगों ने बीच-बीच में अपनी पसंदीदा वस्तुओं के साथ-साथ पकवान में लगने वाली सामग्री खरीद ली थी। लेकिन अन्तिम दिन सोमवार की सुबह से लेकर देर शाम तक अबीर, गुलाल, पिचकारी व मुखौटों की खरीददारी के लिए दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ लगी रही। बच्चों की सर्वाधिक पसंद गन वाली पिचकारियां व मुखौटा रहे। बच्चों ने अपने अभिभावकों के साथ दुकानों पर पहुंचकर आकर्षक पिचकारियां जमकर खरीदीं। वहीं देर शाम तक लोगों ने पूजा में काम आने वाले गन्ना, चना की खरीददारी की।
आधुनिकता के आगे नही दिखती फाग टोलियां
फतेहपुर। रंगों के त्यौहार होली पर चहल पहल तो देखी गयी। लेकिन पहले जैसी रौनक अब देखने को नही मिलती। फाग गीतों की जहां परम्परा लुप्त होती जा रही है। वहीं ढोल-मंजीरों की धुन पर गायकों की टोलियां भी अब गायब होती जा रही हैं। बताते चलें कि फाल्गुन मास आते ही फाग गीतों व ढोल मंजीरों की आवाजें लोगों को घरों से निकलने पर मजबूर कर देती थीं। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में न तो अब वह टोलियां दिखती हैं और न ही पारम्परिक होली वाले गीत। लोगों का कहना है कि लुप्त हो रही प्राचीन परम्परा को संरक्षित करने की आवश्यकता है। कई अन्य लोगों का कहना है कि अब पाश्चात्य संस्कृति के चलते पुरानी फाग गायिकी की परम्परा समाप्त होती जा रही है। फगुवा गायन में विशेषकर ताल, अर्द्ध तीन ताल, दादरा, कहरवा का आनन्द अब मुश्किल हो गया है। पहले के होली गीतों में सुर, लय, ताल, साहित्य, विनम्रता और संस्कारित संदेश हुआ करते थे। लेकिन अब ऐसा न ही हो रहा है। इसके अलावा अब गौरा संग शिवशंकर खेलत फाग, होली खेले रघुवीरा अवध में। आज बिरज में होली रे रसिया आदि कर्ण प्रिय होली गीत सुनाई नही देते हैं।