रायबरेली। डलमऊ ( संवाददाता) इंतजार सिंह गदागंज एक समय ऐसा भी था जब लोग गाँवों मे बन रहे आदर्श तालाब की तारीफ किया करते थे इतना ही नही आदर्श तालाबों की सुन्दरता लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर लेता था लेकिन आज सब उसके विपरीत है गाँव वालो को कौन कहे अधिकारी भी आदर्श तालाबों को दोबारा मुड़कर देखना मुनासिब नही समझते हैं भारत सरकार का सपना तो आदर्श तालाब का नाम देकर पूरा कर दिया गया।लेकिन जिस उददेश्य के साथ आदर्श तालाबों मे लाखो रुपये खर्च किये गये वह उददेश्य पूरा होता नजर नही आ रहा है भारत सरकार का उददेश्य था कि प्रत्येक ग्राम सभा मे तालाबों कि खुदाई करवाया जाये और सब तालाबों मे से एक को चिन्हित कर आदर्श तालाब को नाम दिया जाय।जिससे उसमे पानी का संरक्षण हो सके।आदर्श तालाबों का निर्माण तो हो गया,लेकिन उसमे पानी के स्थान पर धूल उड़ रही है।विकास खण्ड दीन शाह गौरा क्षेत्र के लगभग सभी ग्राम पंचायतो मे तालाबों कि खुदाई की गई उन सभी तालाबों मे से एक तालाब को विशेष स्थान दिया गया जिसे देखकर,आदर्श तालाब के नाम से लोग जानते और पहचानते है।जनपद स्थित पूरे रायबरेली मैं कुछ ग्राम पंचायत जैसे जगतपुर ऊंचाहार डलमऊ विकासखंड दीन शाह गौरा ग्राम सभा हमीर मऊ भगवंतपुर चंदनिया कुरौली बुधकर अलीपुर चकराए बिन नवा पड़रिया साईं टिकरिया विश्वनाथगंज अंबारा मथाई आदि सहित अन्य ग्राम सभा मे बना तालाब अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है विभागीय अनदेखी से ग्राम प्रधान दोबारा इस तालाब को देखना उचित नहीं समझ रहे और न ही विभागीय अधिकारी। मनरेगा के तहत खुदवाए गये तालाबों मे ज्यादातर तालाब अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहे है।जिस उददेश्य के लिये भारत सरकार ने ग्राम पंचायतों मे तालाब खुदवाया है। उस पर पानी फिरता दिखाई पड़ रहा है। आलाधिकारियों की बड़ी लापरवाही से भारत सरकार का करोड़ों रुपये पानी की तरह बह गया है और सरकार का उददेश्य भी पूरा होता दिखाई नही दे रहा है ग्राम सभाओं मे बने आदर्श तालाबों को देखकर लोग खुश होते थे तो साथ ही लोगो को बैठने के लिये भी उत्तम व्यवस्था की गई थी आदर्श तालाबों की सुन्दरता के लिये पौधरोपणऔर तालाब के चारो और बाउंड्रीवाल या इंगल के सहारे कटीले तार लगाये गये थे जिससे की जानवर अंदर न आ सके।अब न तो आदर्श तालाब मे बाउंड्रीवाल रह गई है और न ही लगे इंगल के साथ कटीले तार बचे है ज्यादातर तालाबों मे घास पूस और कटीले बबूल उगे हुये है ये आदर्श तालाब विभागीय लापरवाही के शिकार हो गये है। मनरेगा के तहत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब खुदवाने को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए गये। इस भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप के बाद भी गांवों मे मनरेगा योजना के तहत खुदवाए गए तालाबों में एक बूंद पानी पशु पक्षियों को पीने के लिए नसीब नहीं हो रही है। तालाब में पानी भरे जाने को लेकर ग्राम प्रधान सहित ब्लाक के अधिकारी उदासीन नही दिख रहे हैं। जबकि शासनादेश का आदेश है कि ग्राम प्रधानों द्वारा वन्यजीवों पशु पक्षियों को पीने के लिए तालाबों में पानी भरवाया जाए।जिससे इस चिलचिलाती धूप में पशु, पक्षी एवं वन्य जीव अपनी प्यास बुझा सके। पशु पक्षियों की पीने के पानी की समस्या को लेकर क्षेत्र के ग्राम प्रधानों एवं ब्लाक के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। तालाब में पानी नही भराया जा रहा हैl विकासखंड की ग्राम पंचायतों मे सर्वे के अनुसार मनरेगा से खुदवाए गए तालाब सूखे पड़े हुए है। आपको ज्ञात हो कि गर्मी में चिलचिलाती धूप के कारण वन्य जीव, पशु, पक्षी पीने के पानी की तलाश में बस्तियों में चक्कर लगा रहे हैंl तालाबों में पानी न होने से पानी की तलाश में जानवरों का बुरा हाल है लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। ग्राम पंचायत से लेकर तहसील प्रशासन तक के अधिकारी आसमान की ओर टकटकी लगाए बारिश की राह देख रहे हैं। बारिश होते ही कागजी खानापूर्ति करके इस पैसे का आपस में बंदरबांट कर अपनी तिजोरियां भरेंगे। प्यासे पशु पक्षी पानी के लिए बिलखते रहेंगे। तालाबों में पानी की समस्या को लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि मौजूदा सरकार में पशु पक्षियों का हक मारने में ग्राम प्रधान से लेकर आलाधिकारी तक पीछे नहीं है।