“सब का साथ सब का विकास” तो बेंक कर्मियों के साथ अन्याय क्यों ?

पुरे देश में ३० और ३१ मई को राष्ट्रीयकृत बेंक ,पब्लिक सेक्टर बेंक में कर्मचारी संगठनो ने दो दिवसीय हड़ताल का एलन किया और आज दुसरे दिन भी ये सभी बेंको में हड़ताल है. बेंक आज के दौर में एक आवयशक सेवा बन गई है. यदि एटीएम की सुविधा ना होती तो लोगो को लगता की वाकई बेंको में हड़ताल है. लेकिन आज माहोल यह है की बेंक बंद है तो चलो एटीम में. लेकिन इसके साथ बेंक में दो दिन की हड़ताल आखिर क्यों करनी पड़ी इसके बारे में कर्मचारी संगठनो का कहना है की बेंक फिल्ड को छोड़कर कही भी सभी की सेलेरी को सेलेरी पानेवाले के काम के साथ जोड़ा नहीं गया. लेकिन बेंकिंग सेक्टर में सरकारी बेंको के कर्मचारियों की सेलेरी में सिर्फ दो प्रतिशत का इजाफा किया गया है.
कर्मचारी संगठनो का कहना है की सुप्रीमकोर्ट के जज से लेकर एक शिक्षक की सेलेरी उनके काम के साथ नहीं जोड़ा गया. कोर्ट में रोज तय संख्या में केसों निपटारा होंगा तो ही उस हिसाब से सेलेरी नहीं मिलती. यदि क्लास में कई बच्चे फेल हो गये तो किसी शिक्षक की सेलेरी में भारी कटौती की गई हो ऐसा आजतक नहीं हुआ. मंत्रालय और सरकार के अन्य दफ्तरों में काम के हिसाब से सेलेरी नहीं होती.
रेल दुर्घटना ये ज्यादा हो गई तो सभी की सेलेरी कम कर दी गई हो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. पुलिस को कितने अपराधी पकडे गए या सरकारी अस्पताल में कितने मरीज का इलाज हुवा उस हिसाब से कभी सेलेरी नहीं होती. लेकिन सरकारी बेंको में ही ऐसा हुआ की नफे नुकशान के हिसाब से सेलेरी हो रही है. संगठनो ने दावा किया की इस बार उनकी सेलेरी में सिर्फ दो प्रतिशत का ही इजाफा किया गया है जो लाखो बेंक कर्मियों के साथ सरकार का भद्दा मजाक और अवमान है.

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