वैसे तो देशमे उपचुनाव होते रहते हैं लेकिन इस बार ऐसा हुआ कि एक साथ ग्यारह स्टेट में उपचुनाव सम्पन्न हुए और जो नतीजे आये हैं वह भाजपा के लिए लाल बत्ती समान हैं. जिस बड़े राज्य यूपी में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटे मिली वहा योगी आदित्य नाथ के शासन में भाजपा को गोरखपुर और फूलपूर लोकसभा सीट ग्वाना पड़ी उसी स्टेट मे केरना की सीट भी ग्वाना पड़ी. इससे पहले प्रति पक्ष अलग थलग होकर भाजपा के सामने चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार सभी भाजपा विरोधी दल एक हुवे और गठबंधन कर एक ही प्रत्याशी खड़ा करने की रणनीति सफल रही. हाल ही में एक साथ ग्यारह स्टेट मे उपचुनाव हुवे जिसमें भाजपा को तगड़ा झटका लगा है. यदि देखा जाएँ तो यह देश का मूड समझने के लिहाज से इन चुनावों को अहम समझा जा रहा था. मूड यह बन के सामने आया है कि उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए लाल बत्ती के समान है.
उपचुनाव के नतीजे आने पर भाजपा के सहयोगी दलों के सुर भी कुछ अलग सुनाई देने लगे हैं. जैसे कि जेडीयू ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाने से देश भर में लोग काफी गुस्सा हुए हैं. महा राष्ट्र मे सहयोगी दल शिव सेना ने जम कर आलोचना की है कि यूपी में इन नतीजों ने योगी आदित्य नाथ की पूरी मस्ती उतार दी है. वैसे तो महा राष्ट्र मे शिव सेना पालघर उपचुनाव हार गई हैं. हार ने के बाद शिव सेना के ठाकरे ने कहा कि भाजपा को अब मित्र की जरूरत नहीं है. उन्होंने पाल घर सीट के लिए फिर से चुनाव की मांग करते हुए चुनाव आयोग पर भी आरोप लगाया कि मतदान के दौरान घोटाले हुवे है.
उपचुनाव और आम चुनाव में अन्तर होता है. लेकिन पिछले जीतने भी उप चुनाव हुवे उसमे भाजपा को सफलता नहीं मिली. लोकसभा में भाजपा की संख्या कम हो गई है. उपचुनावों के नतीजे से सबक लेते हुए भाजपा को चाहिए कि वह अपने सहयोगी दलों को लेकर चले. देश में प्रति पक्ष का सिनारीओ बदल गया है. सब एक हो रहे हैं. उनको लग रहा है कि यदि भाजपा और विशेष रूप से मोदी के खिलाफ लड़ना है तो सबको एक साथ मिलकर काम करना होगा. प्रति पक्ष की एका के लिए खुद मोदी जिम्मेदार हैं. भाजपा के लिए लाल बत्ती देखने को मिल रही है तब अपने व्यवहार में परिवर्तन लाये. जो रूठे हुए हैं उन्हें मनाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा. अब यह उन पर निर्भर है कि अगले आम चुनाव में अकेले चलना है कि फिर एक बार सबको साथ लेकर. फैसला उन्हे करना है.