फतेहपुर। न्यूज वाणी नशेबाजी कितनी हानिकारक हो सकती है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शौक से शुरू हुई यह लत लोगों की आदत में अवश्यकता की तरह सामिल हो जाती है। और इसके आदी को अपनी गलती का एहसास तब होता है जब वह मौत के दोराहे पर खड़ा होकर मौत से जिन्दगी की भीख माॅगता है।
जी हाॅ हम बात कर रहे है शहर कस्बों के उन मेडिकल स्टोरों की जहाॅ नशीली दवाओं का कारोबार बड़े स्तर पर किया जा रहा है। और युवा पीढी लागतार इन नशीली दवाइयों के दलदल में फंसती जा रही है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि स्वास्थ्य महकमें से लेकर जिला प्रशासन तक इस बात को हल्के में लेकर मौत के सौदागरों को बढ़ावा दे रहे है। यही कारण है कि नशीली दवाओं का यह कारोबार दिन ब दिन ऊॅचाइयाॅ छू रहा है आलम यह है कि यदि कोई व्यक्ति अपने घर वालों से नाराज होता है तो नशीली दवाइयों का इस्तेमाल कर स्वंय मौत के करीब पहॅुच जाता है। आखिर कहाॅ से मिलती है यह दवाइयाॅ जो व्यक्ति को अन्दर ही अन्दर खोखला कर देती है। प्रायः देखा जाता है कि जब किसी मानसिक रोगी को नींद नहीं आती या उसे उलझन सवार होती है या वह परेशान रहता है तो डाक्टर अपने लेटर पैड पर नशीली दवाइयाॅ लिख कर मेडिकल स्टोर से मंगवाता है। जो मानसिक रोगी को नींद देने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है। लेकिन नशेबाजों को वही दवायें बिना किसी पर्चे के मिल जाती है। जिसका इस्तेमाल वह नशे के लिये करता है। जहाॅ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आर्थिक समझौते के चलते इन पर नकेल नहीं कस पा रहे है। वहीं ड्रग्स माफिया खुलेआम इन नशीली दवाओं को बेंचकर अपनी तिजोरियाॅ भर रहे है। और युवाओं को बर्बाद करने वाली दवाओं को खुले आम बेंच रहे है। नशीली दवाओं से दोस्ती का मतलब है जिन्दगी से दुश्मनी उस हकीकत को जानते हुए भी नशीली दवाओं के शौकीन स्वंय को मौत की ओर धकेल रहे है।