तलाक के मामले 25% बढ़े, ज्यादा वक्त साथ बिताने से पति-पत्नी में हो रही घरेलू हिंसा; दुनियाभर के लिए हो सकती है चेतावनी

कोरोनावायर की महामारी से एक तरफ जहां दुनियाभर के लोगों में डर बना हुआ है, तो दूसरी तरफ इसने दुनियाभर के बाजारों को हिला दिया है। इतना ही नहीं, कोरोना की वजह से चीन के लोगों में तलाक के मामले बढ़ गए हैं। चीन की दक्षिणी ग्वांगडोंग प्रांत की रहने वाली 30 वर्षीय गृहणी मिसेज वू का कहना है कि उन्होंने आइसोलेशन के दौरान पिछले दो महीने अपने पति के साथ गुजारे। इन दो महीने के दौरान उनका रिश्ते तलाक तक पहुंच गया है।

वू बताती है कि इन दो महीने के दौरान वे दोनों लड़ते ही रहे। उनके पति पैसे कम मिलते हैं, लेकिन ऑफिस का काम बहुत ज्यादा है। वे बच्चों की देखभाल में भी बराबर टाइम नहीं देते। पहले शाम के समय वे बच्चों के साथ खेलते थे, लेकिन अब आराम करने बिस्तर पर चले जाते हैं। वे घर में परेशान हो चुके हैं। मैं अब और नहीं सहना चाहती। हम दोनों तलाक के लिए सहमत हो गए हैं। अब बस वकील का ढूंढना है।
साथ रहने से घरेलू हिंसा में इजाफा

चीन में अन्य देशों की तुलना में हर साला तलाक के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। ऐसे में कोरोनावायरस से बचाव के चलते सराकर द्वारा लॉकडाउन की स्थिति के बाद पति-पत्नी को कई सप्ताह तक दोनों को साथ रहना पड़ रहा है। ऐसे में घरेलू हिंसा की घटनाओं में कई गुना इजाफा हुआ है। ये स्थित अमेरिका और अन्य देशों की शादीशुदा जोड़ों के लिए अशुभ चेतावनी हो सकती है, जो लॉकडाउन की स्थिति के शुरुआती चरण में घर में साथ रहकर अलग-थलग हो रहे हैं।

मध्य चीन में जियान शहर और सिजुआन प्रांत के डाझोऊ में मार्च की शुरुआत में तलाक फाइल करने के मामलों में कई गुना की तेजी आई है। हुनान प्रांत के मिलुओ में तो सरकारी कर्मचारियों के पास पानी पीने तक का भी समय नहीं है। दरअसल, सरकारी बेवसाइट के अनुसार मिड मार्च तक शहर में बहुत सारे शादीशुदा कपल ने तलाक फाइल किया है। शहर के रजिस्ट्रेशन सेंटर के डायरेक्टर यी जिओयान ने बताया कि कुछ मामलों के चलते शादीशुदा कपल के जीवन में संघर्ष बड़ गया है और पुअर कम्युनिकेशन के चलते शादीशुदा जिंदगी में निराशा आ रही है, जिसके चलते लोग तलाक लेने का निर्णय ले रहे हैं।

बता दें कि चीन के शिचुआन प्रांत में महज एक महीने के अंदर 300 से ज्यादा दंपतियों ने तलाक की अर्जी दाखिल की है। इसकी वजह बताई जा रही है कि घर पर पति-पत्नी जरूरत से ज्यादा एक दूसरे के साथ समय बिता रहे हैं। इससे उनके बीच विवाद बढ़ रहे हैं। चीन के डाझोऊ इलाके के मैरिज रजिस्ट्री ऑफिस ने स्पष्ट किया है कि वायरस के प्रकोप के बाद से आवेदनों की संख्या में वृद्धि हुई है।

लॉकडाउन के बाद तलाक के मामले 25% बढ़े

शंघाई में तलाक मामले के वकील स्टीव ली का कहना है कि मार्च के मध्य में लॉकडाउन के बाद से उनके पास तलाक से जुड़े केस 25% बढ़ गए हैं। अधिकांश मामले बेवफाई से जुड़े हैं। ली ने नए मामलों के बारे में कहा, “दंपतियों ने जितना ज्यादा समय एक साथ बिताया, उतना ही वे एक-दूसरे से नफरत करते हैं। चीन में 2003 में तलाक कानून में संशोधन के बाद से ही तलाक दर लगातार बढ़ रही है। वे कहते हैं कि जब लोग घर पर नहीं होते तो उनके पास लव अफेयर के लिए टाइम होता है। ऐसे में जब जनवरी के अंत में कोरोनावायरस की शुरुआत हुई तब लोगों को घर में ही रहना पड़ा। ऐसे में जो लोग अपने परिवार को लिमिटेड टाइम देते थे, उनके लिए इतना ज्यादा समय बिताना मुश्किल हो गया। पति-पत्नी ने जितना ज्यादा समय साथ बिताया, वे एक-दूसरे से उतनी नफरत करने लगे। ये बात शादीशुदा कपल के साथ सभी पर लागू होती है।

चीन में कानून को लिबरल बनाया गया है, उसके बाद से तलाक के मामले काफी बढ़ रहे हैं। 2003 में 1.3 मिलियन (करीब 13 लाख) कपल ने तलाक लिया था। वहीं, 15 साल में इसके नंबर काफी बढ़ गए। 2018 में तलाक लेने वाले कपल की संख्या 4.5 मिलियन (करीब 45 लाख) तक पहुंच गई थी। बीते साल चीन में 4.15 मिलियन (करीब 4 लाख 15 हजार) कपल की शादी हुई है।
सरकार की नीति भी फेल हुई

चीन ने 1979 में आबादी पर लगाम लगाने के लिए ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ की शुरुआत की थी। लेकिन इस पॉलिसी को खत्म करने के बाद 2016 में 1.84 करोड़ से भी ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ। 2015 की तुलना में इनकी संख्या 11 प्रतिशत ज्याा रही। इनमें ज्यादातर बच्चे अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। सरकार द्वारा ये फैसला देश की आबादी बढ़ाने के साथ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने के लिए उठाया गया था। इस बीच चीन के शंघाई स्थित ऑनलाइन पब्लिकेशन सिक्स्थ टोन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि वुहान के मध्य हुबेई प्रांत में शुरू हुई इस महामारी (कोरोनावायरस) के बाद फरवरी में घरेलू हिंसा के 162 मामले सामने आए हैं। जो बीते साल इसी महीने के दौरान 47 से तीन गुना से भी ज्यादा हैं।

जल्दी नॉर्मल नहीं होगी लाइफ

जब ये महामारी खत्म हो जाएगी तब लोगों की लाइफ फिर से नॉर्मल हो जाएगी। हालांकि, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक तौर पर लोगों को कुछ महीने तनाव में रहना पड़ेगा। हांगकांग के कुछ लोगों पर कि गई स्टडी के मुताबिक 2002-03 SARS से पीड़ित लोग इस प्रकोप के एक साल बाद भी तनाव में रहे। हांगकांग में तलाक लेने वाले कपल की संख्या 2004 में 2002 की तुलना में 21% ज्यादा थी। इस बार हांगकांग में 1800 लोग संक्रमित हैं, वहीं 299 की मौत हो चुकी है। वहीं, चीन में 80,000 से ज्यादा कोरोनावायरस से इनफेक्टेड हुए हैं, जिसमें 3300 की मौत हुई है।
युवाओं में तलाक के ज्यादा केस

शंघाई के तलाक मामले के वकील स्टीव ली कहते हैं कि युवा पीढ़ी के लोग अपने माता-पिता की तुलना में तलाक की तरफ ज्यादा जाते हैं। इनमें ज्यादातर कोई एक कह देता है कि वो तुम्हारी तरह नहीं है, और अगले दिन वे तलाक फाइल कर देते हैं। वहीं, शंघाई के डिंगडा लॉ फर्म के वकील यांग शेनली कहते हैं कि उनके पास तलाक के चार मामले लॉकडाउन की वजह से आए हैं, इनमें तलाक लेने वाले कपल 1985 के बाद पैदा हुए हैं। वहीं, दो मामले ऐसे हैं जिनमें तलाक का फैसला क्वारंटाइन की वजह से हुए तकरार के चलते लिया गया।

दूसरी तरफ, हांगकांग के एक कैनेडियन आर्टिस्ट राशेल स्मिथ का कहना है कि घर के क्वारंटाइन होने और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से उनकी शादीशुदा जिंदगी में फिर से प्यार बढ़ गया है। वे 21 साल पहले बैकपैकिंग ट्रिप के दौरान अपने पति से मिली थीं। समय के साथ उनके पति करियर को लेकर बिजी हो गए, जिसके बाद से दोनों को एक-दूसरे के लिए समय कम मिलता था।

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