अब कोरोना ने दिमाग को जकड़ा, मरीज नाम तक नहीं बता पा रहे, बोलने की क्षमता घटी, बुखार आने से पहले बेसुध हो रहे पेशेंट
कोरोनावायरस गले और फेफड़े के साथ अब दिमाग को भी जकड़ रहा है। दुनियाभर के न्यूरोलॉजिस्ट इसकी पुष्टि भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना से पीड़ित मरीजों में से एक तबका ऐसा भी है जिसमें संक्रमण का असर उनके दिमाग पर भी पड़ रहा है। एक्सपर्ट ने इसे ब्रेन डिसफंक्शन का नाम दिया है। संक्रमण का असर मरीज के बोलने की क्षमता पर पड़ रहा है और दिमाग में सूजन के कारण सिरदर्द बढ़ रहा है। ऐसे कई दुर्लभ मामले सामने आ रहे हैं। इनके अलावा गंध सूंघने और अलग-अलग स्वाद को पहचाने की क्षमता भी घट रही है।
पहला मामला : मरीज बोलने की क्षमता तक खो चुका था
कोरोनावायरस दिमाग को कैसे प्रभावित कर रहा है इसे मार्च में सामने आए एक मामले से समझा जा सकता है। 74 साल के एक कोरोना पीड़ित को आनन-फानन में इमजरेंसी में भर्ती किया गया। उसे खांसी और बुखार की शिकायत थी लेकिन एक्स-रे से निमोनिया की बात सामने आई और उसे घर वापस भेज दिया गया। अगले दिन उसका बुखार बढ़ा और परिजन वापस हॉस्पिटल लेकर आए। अब सांस लेने में तकलीफ भी शुरू हो चुकी थी। हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि वह डॉक्टर को अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था। वह अपने बोलने की क्षमता भी खो चुका था।
मरीज को फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी थी, इसके साथ वह पार्किंसन से भी जूझ रहा था। जिसके कारण हाथ और पैरों को हरकत करने में दिक्कत हो रही थी। इसके अलावा उसमें दिमाग दौरा पड़ने का खतरा दिखाई दिया। डॉक्टरों को पहले शक हुआ कि इसे कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ है और बाद में जांच में इसकी पुष्टि भी हुई।
दूसरा मामला : कोरोना पीड़ित को सिरदर्द, जांच में दिमागी सूजन भी सामने आई
एक और मामला मिशिगन के डेट्रायट में सामने आया। करीब 50 साल की एक महिला एयरलाइनकर्मी को कोरोना का संक्रमण हुआ। उसे कुछ नहीं समझ नहीं आ रहा था, उसने डॉक्टर को सिरदर्द होने की समस्या बताई। बमुश्किल वह डॉक्टर को अपना नाम बता पाई। धीरे-धीरे उसके जवाब देने की रफ्तार धीमी हो गई। जब ब्रेन स्कैनिंग की गई तो सामने आया कि दिमाग के कई हिस्सों अलग तरह की सूजन है। दिमाग के एक हिस्से की कुछ कोशिकाएं डैमेज होकर खत्म हो गई थीं।
डॉक्टरों ने इसे दिमाग की बेहद गंभीर स्थिति बताया और नाम दिया ‘एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एनसेफेलोपैथी’। यह दुर्लभ कॉम्प्लिकेशन है जो इंफ्लूएंजा और दूसरे वायरस के संक्रमण से होता है। हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एजिसा फोरे के मुताबिक, संक्रमण के बाद कुछ दिनों मे तेजी दिमाग में सूजन आती है और लगातार बनी रहती है। यह मामला बताता है कि दुर्लभ स्थिति में कोरोनावायरस दिमाग को भी भेद सकता है। एयरलाइन कर्मी की हालत बेहद गंभीर है।
दिमाग में खून के थक्के जमना और दौरे पड़ने जैसे लक्षण दिखे
इटली की ब्रेसिका यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल से जुड़े डॉ. एलेसेंड्रो पेडोवानी के मुताबिक, कोरोना के मरीजों में ऐसा ही बदलाव इटली और दुनिया के दूसरे हिस्से डॉक्टरों ने भी नोटिस किया। इसमें ब्रेन स्ट्रोक, दिमागी दौरे, एनसेफेलाइटिस के लक्षण, दिमाग में खून के थक्के जमना, सून्न हो जाना जैसी स्थिति शामिल हैं। कुछ मामलों में कोरोना का मरीज बुखार और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने से पहले ही बेसुध हो जाता है। इटली में ऐसे मरीजों के लिए अलग से न्यूरो-कोविड यूनिट शुरू की गई है।
फेफड़ों के लिए वेंटिलेटर है दिमाग के लिए कुछ नहीं
पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शैरी चोउ के मुताबिक, इस पर तत्काल नई जानकारी सामने लाने की जरूरत है। फेफड़े डैमेज होने पर वेंटिलेटर से मरीज की रिकवरी की उम्मीद है लेकिन दिमाग के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
चीनी शोधकर्ताओं ने भी माना
हालिया शोध में चीनी वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे कई प्रमाण मिले हैं जो बताते हैं कि कोरोनावायरस अब सिर्फ सांस नली तक नहीं सीमित है। यह नर्वस सिस्टम तक पहुंच रहा है। जो सांस लेने की क्षमता को खत्म करने में अहम रोल अदा कर सकता है। चीन में हुई एक और रिसर्च में भी इसकी पुष्टि हुई है। फरवरी में हुए इस शोध के मुताबिक, कोरोना से पीड़ित 15 फीसदी गंभीर मरीजों के मानसिक स्तर में बदलाव हुआ है।