नई दिल्ली- राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गए हैं। 24 मार्च को हुए लॉकडाउन के बाद से आयोग को कुल 250 शिकायतें में मिली हैं, जिसमें से 69 शिकायतें घरेलू हिंसा की हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 23 मार्च 2020 से एक अप्रैल तक महिलाओं से साइबर अपराध के 15 मामले सामने आए हैं. वहीं, महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की 69 शिकायतें मिली हैं। इसी प्रकार, रेप या रेप की कोशिश की 13, सम्मान के साथ जीने के अधिकार के संबंध में 77 शिकायतें महिलाओं की ओर से मिली हैं। महिलाओं ने कुल 257 शिकायतें दर्ज करवाई हैं, जिनमें से 237 पर कार्रवाई की गई है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि घरेलू हिंसा के मामले इससे और भी अधिक हैं, लेकिन महिलाएं अपने पति की घर में लगातार उपस्थिति के कारण शिकायत करने से डर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं पुलिस से संपर्क नहीं कर पा रही हैं क्योंकि वे डरती हैं कि जब उनका पति पुलिस स्टेशन से बाहर आएगा तो फिर उनको पीटेगा और लॉकडाउन की वजह से वे कहीं जा भी नहीं सकती हैं। पहले महिलाएं अपने माता-पिता के पास चली जाती थीं, लेकिन अब वे यह भी नहीं कर पा रही हैं।’’
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया कि उन्हें भी लॉकडाउन के बाद से महिलाओं से घरेलू हिंसा की कई शिकायतें मिली हैं। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि अगर सरकार ने लॉकडाउन की चेतावनी दी होती तो ऐसी महिलाएं सुरक्षित स्थानों पर जा सकती थीं। उनसे संपर्क करने वाली कई महिलाओं ने बताया है कि अगर उन्हें लॉकडाउन के बारे में थोड़ा सा भी पता होता तो पहले ही सुरक्षित जगह पर चली जातीं।
घरेलू हिंसा से महिलाओं की मदद और उन्हें बचाने का एक ही तरीका है कि उन्हें रेस्क्यू किया जाए। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने कहा लॉकडाउन के कारण हर कोई घर पर है और महिलाओं को मदद के लिए संपर्क नहीं हो पा रहा है। यह महिलाओं के लिए सही स्थिति नहीं है।