लखनऊ। उप चुनाव में करारी हार के कोई भी कारण रहे हो लेकिन अब सरकार और संगठन में बदलाव किया जाना तय माना जा रहा है। हालांकि जनता की नाराजगी के कई कारण है। जोरदार तैयारी और प्रचार के बावजूद कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में हुई हार ने प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन में बड़े बदलाव की नींव डाल दी है। आम चुनाव-2019 में ऐसी चूक ना हो इससे बचने की रणनीति पर पार्टी ने काम शुरू कर दिया है। इसी क्रम में चुनाव क्षेत्रों से जुड़े प्रभारी मंत्री, मंत्री और संगठन के बड़े पदाधिकारियों के कार्यक्षेत्र बदलने हो सकते हैं। चर्चा है कि जून या फिर जुलाई में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही संगठन में भी बदलाव होंगे। कैराना और नूरपुर में गोरखपुर और इलाहाबाद जैसा कोई बहाना नहीं था। पार्टी के कोटे में रही इन दोनों सीटों को फिर से हासिल करने के लिए पूरी तैयारी की गई थी। प्रदेश सरकार के तमाम मंत्री और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी इन क्षेत्रों में लगाए गए थे। इसके बावजूद मंत्री, प्रभारी मंत्री और पदाधिकारी क्षेत्रीय मतदाताओं के रूख को नहीं भांप नहीं। इतना ही नहीं सरकार और संगठन के आला पदाधिकारियों को यह संदेश दिया जाता रहा कि दोनों सीटें पार्टी आसानी से जीत जाएगी।पार्टी सूत्रों के मुताबिक कैराना और नूरपुर उपचुनाव में बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले प्रदेश सरकार के मंत्री, जिलों के प्रभारी मंत्री के साथ ही संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के कामों की समीक्षा हो रही है। जिलों के प्रभारी मंत्री और मंत्री जिनकी संख्या करीब एक दर्जन है, इनके कार्यक्षेत्र में बदलाव किया जा सकता है। कुछ को मंत्री पद से हटाकर नए लोगों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा सकता है, कुछ संगठन में भी लगाए जा सकते हैं। इसी प्रकार संगठन के करीब आधा दर्जन वरिष्ठ पदाधिकारियों की जिम्मेदारी भी बदली जा सकती है।