सऊदी -रियाद, कोविड-19 महामारी के कारण दुनियाभर के धार्मिक स्थलों को बंद किया गया है। अब इसका असर सऊदी अरब में मक्का-मदीना पर भी दिख सकता है। अधिकारियों का कहना है कि कोरोनावायरस के कारण इस साल जुलाई में होने वाली हज यात्रा रद्द की जा सकती है। ऐसा इससे पहले 1798 में किया गया था। सऊदी सरकार ने 27 फरवरी को उमरा पर बैन लगा दिया था। उमरा हज की तरह ही होता है, लेकिन निश्चित इस्लामी महीने में मक्का और मदीना की यात्रा को हज कहा जाता है। महामारी को रोकने के लिए सरकार ने पहले ही सभी सीमाएं सील कर दी हैं।
हज यात्रा का समय चंद्र कैलेंडर से तय किया जाता है। यह सालाना इस्लामिक कार्यक्रमों का प्रमुख हिस्सा है। यही कारण है कि 1918 फैले फ्लू के दौरान भी इसे रद्द नहीं किया गया था। अगर यात्रा रद्द होती है, तो सऊदी के लिए यह साल घाटे का होगा, क्योंकि महामारी के कारण तेल की कीमतें पहले ही गिरी हुई हैं। ऐसे में हज यात्रा से मिलने वाला रुपया भी नहीं आएगा। सऊदी में कोरोनावायरस के करीब 1500 मामले सामने आए हैं। 10 लोगों की मौत हो गई। पूरे पश्चिम एशिया में करीब 72 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हैं। पिछले साल यहां करीब 20 लाख लोग पहुंचे थे। सऊदी को हर साल हज यात्रा से 91 हजार 702 करोड़ रुपए (12 अरब डॉलर) की आमदनी होती है।
हज के लिए यात्रा अनुबंध नहीं मुस्लिम
सऊदी के उमरा मंत्री मुहम्मद सालेह बिन ताहिर ने बुधवार को कहा, ‘‘हमारी सरकार सभी देशों के मुसलमानों की सुरक्षा की तैयारी में है। दुनियाभर के मुस्लिमों से अपील हैं कि जब तक हमारी ओर से साफ न कर दिया जाए, तब तक सभी यात्रा अनुबंधों को रोक दिया जाए।’’
लोगों को मानसिक रूप से तैयार कर रही सरकार
लंदन में किंग्स कॉलेज में वॉर स्टडीज के लेक्चरर शिराज मेहर ने कहा, ‘‘सऊदी सरकार के अधिकारी लोगों को मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं, ताकि यात्रा रद्द हो तो ऐसा नहीं लगे कि यह पहली बार हो रहा है। वे अतीत में हुई घटनाओं को जिक्र कर यह बताना चाहते हैं कि विशेष परिस्थतियों में हज यात्रा रोकी गई और ऐसा एक बार और हो सकता है।’’
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, सभी सक्षम मुस्लिमों के लिए जीवन में एक बार हज यात्रा अनिवार्य है। सऊदी स्थित मक्का और मदीना के कारण यहां हर साल दुनियाभर से औसतन 30 लाख मुस्लिम जुड़ते हैं।