लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती मामले में स्पष्ट किया है कि मौजूदा समय में लंबित याचिका पर कोई अंतरिम आदेश नहीं है। इससे प्रदेश में तकरीबन 22 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पांच साल से रुकी भर्तियों का रास्ता साफ हो गया है।
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा व न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश प्रांतीय बाल विकास परियोजना अधिकारी कल्याण एसोसिएशन की ओर से वर्ष 2013 में दायर याचिका पर दिया। एसोसिएशन की तरफ से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में आरक्षण लागू न करने व उसके सदस्यों को भर्ती में शामिल करने का आग्रह किया गया था।राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने यह कहते हुए इस मामले को टालने का विरोध किया कि मौजूदा समय में कोई स्थगनादेश नहीं है। त्रिपाठी के मुताबिक, यह मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गया और वहां से फिर हाईकोर्ट को वापस निस्तारण के लिए भेज दिया गया। बार-बार कई तारीखें लगती रहीं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती नहीं हो सकी। अदालत ने अपने आदेश में कहा, देखने से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट से मामला वापस होने के बाद हाईकोर्ट ने कोई स्थगनादेश नहीं दिया है। याची के अधिवक्ता ने पक्षकारों की दलील का विरोध करते हुए खुद पूरक हलफनामे के साथ दस्तावेज दाखिल करने का आग्रह किया। इस पर अदालत ने याची के वकील को एक सप्ताह का समय दे दिया।